आज मजदूर दिवस है. मजदूर दिवस पर देश भर में कई तरह के कार्यक्रम होते हैं. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं मजदूरों के लिए लिखी कुछ अनमोल शायरियों के बारे में.
बेचता यूं ही नहीं है आदमी ईमान को, भूख ले जाती है ऐसे मोड़ पर इंसान को.
नींद आएगी भला कैसे उसे शाम के बा'द रोटियाँ भी न मयस्सर हों जिसे काम के बा'द
ये बात ज़माना याद रखे मज़दूर हैं हम मजबूर नहीं, ये भूख ग़रीबी बदहाली हरगिज़ हमको मंज़ूर नहीं.
हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा मागेंगे, इक गांव नहीं इक शहर नहीं हम सारी दुनिया मागेंगे.
फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं
कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं
आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर, मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते.