नींद आएगी भला कैसे...मजदूर दिवस पर पढ़ें ये मशहूर शायरियां

International Labour Day 2024

आज मजदूर दिवस है. मजदूर दिवस पर देश भर में कई तरह के कार्यक्रम होते हैं. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं मजदूरों के लिए लिखी कुछ अनमोल शायरियों के बारे में.

अदम गोण्डवी

बेचता यूं ही नहीं है आदमी ईमान को, भूख ले जाती है ऐसे मोड़ पर इंसान को.

अज़हर इक़बाल

नींद आएगी भला कैसे उसे शाम के बा'द रोटियाँ भी न मयस्सर हों जिसे काम के बा'द

कांतिमोहन 'सोज़'

ये बात ज़माना याद रखे मज़दूर हैं हम मजबूर नहीं, ये भूख ग़रीबी बदहाली हरगिज़ हमको मंज़ूर नहीं.

फैज अहमद फैज

हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा मागेंगे, इक गांव नहीं इक शहर नहीं हम सारी दुनिया मागेंगे.

मुनव्वर राना

फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं

अहमद सलमान

कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं

हफ़ीज़ जालंधरी

आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए

मुनव्वर राना

सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर, मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते.

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