Chakratirth Naimisharanya : चार धाम की यात्रा से बड़ा कोई दर्शन नहीं है. मान्यता है कि चार धाम की यात्रा करने के बाद पुण्य की प्राप्ति होती है. हालांकि, यूपी में इस पवित्र स्थल पर दर्शन नहीं किए तो चार धाम यात्रा भी अधूरी रह जाती है.
Trending Photos
Chakratirth Naimisharanya : हिन्दू धर्म में चार धाम यात्रा (बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री ) का विशेष महत्व है. चार धाम की यात्रा से बड़ा कोई दर्शन नहीं है. मान्यता है कि चार धाम की यात्रा करने के बाद पुण्य की प्राप्ति होती है. हालांकि, यूपी में इस पवित्र स्थल पर दर्शन नहीं किए तो चार धाम यात्रा भी अधूरी रह जाती है. माना जाता है कि यहां दर्शन से चार धाम यात्रा पूरी हो जाती है.
कहां स्थित है यह पवित्र स्थल
दरअसल, यूपी के सीतापुर शहर में स्थित नैमिषारण्य एक पवित्र तीर्थ स्थल है. यहां पर महापुराण लिखे गए थे और पहली बार सत्यनारायण की कथा की गई थी. इस धाम का वर्णन पुराणों में भी मिलता है. इसलिए नैमिषारण्य की यात्रा के बिना चार धाम की यात्रा भी अधूरी मानी जाती है. इस सथान को नैमिषारण्य, नैमिष या नीमषार के नाम से भी जाना जाता है.
यह है मान्यता
मान्यता है कि नैमिषारण्य वह स्थान है जहां पर ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपने वैरी देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान की थीं. नैमिषारण्य का नाम नैमिष नामक वन की वजह से रखा गया है. इसके पीछे कहानी ये है कि महाभारत युद्ध के बाद साधु-संत कलियुग के प्रारंभ को लेकर काफी चिंतित थे.
... तो ऐसे बन गई तपोभूमि
इसलिए उन्होंने ब्रह्माजी से किसी ऐसे स्थान के बारे में बताने के लिए कहा जो कलियुग के प्रभाव से अछूता रहे. इसके बाद बह्माजी ने एक पवित्र चक्र निकाला और उसे पृथ्वी की तरफ घुमाते हुए बोले कि जहां भी ये चक्र रुकेगा, वो स्थान कलियुग के प्रभाव से मुक्त रहेगा. फिर ब्रह्मा जी का चक्र नैमिष वन में आकर रुका. इसीलिए साधु-संतों ने इसी स्थान को अपनी तपोभूमि बना लिया.
Watch: देखिए लोकसभा में पेश हुए महिला आरक्षण बिल पर क्या बोली भारत की एंजेलिना जोली