Lok Sabha Election: बहराइच में कोई भी दल न लगा पाया हैट्रिक, क्या बीजेपी के आनंद गोंड को ये करिश्मा करने से रोक पाएंगे सपा के रमेश गौतम
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Lok Sabha Election: बहराइच में कोई भी दल न लगा पाया हैट्रिक, क्या बीजेपी के आनंद गोंड को ये करिश्मा करने से रोक पाएंगे सपा के रमेश गौतम

Bahraich Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 13 मई को चौथे चरण का मतदान होने वाला है. इस दौरान उत्तर प्रदेश में 13 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. अवध, तराई व सेंट्रल यूपी की 13 सीटों में बहराइच भी शामिल है जिसके लिए उम्मीदवारी की कड़ी टक्कर है.

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Lok Sabha Election, बहराइच: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चौथे चरण का मतदान 13 मई को होने वाला है. इस दौरान उत्तर प्रदेश में 13 सीटों पर वोटिंग होनी है. अवध, तराई व सेंट्रल यूपी की 13 सीटों पर चुनावी मैदान में बीजेपी, बीएसपी और सपा-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है. एक और चर्चित सीट पर इस चरण में वोट डाले जाएंगे और वो सीट है बहराइच जहां पर अब तक किसी भी पार्टी ने जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है और न तो यह सीट किसी एक दल का गढ़ बन सकता है. हालांकिन इस बार बीजेपी हैट्रिक का करिश्मा कर सकती है क्योंकि पिछले दो बार से इस सीट से उसी की जीत हो रही है. बहराइच से उतरे उम्मीदवारों के बारे में हम इस लेख में जानेंगे. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं. 

बीजेपी उम्मीदवार डॉ आनंद गोंड
बहराइच जिले में दो लोकसभा सीटें पड़ती हैं जहां से बहराइच सुरक्षित सीट का टिकट बीजेपी ने मौजूदा सांसद अक्षयवर लाल गोंड के एकमात्र पुत्र डॉ आनंद गोंड को दिया है. 50 वर्षीय ने डॉ आनंद गोंड ने एमबीए की पढ़ाई की है और पीएचडी भी की है. पिता की राजनीतिक विरासत को गोंड आगे लेकर चल रहे हैं. और फिलहाल व्यापारी भी हैं. बहराइच की कई सामाजिक संस्थाओं से भी डॉ आनंद गोंड जुड़े हैं. 

सपा उम्मीदवार रमेश गौतम
2024 लोकसभा चुनाव के लिए बहराइच से समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक रमेश गौतम को उम्मीदवार बनाया है. रमेश पहले बसपा में थे और साल 2020 में ही वो सपा में जुड़े थे. गोण्डा जिले के कटरा विधानसभा में आने वाले कैथौला गांव के रहने वाले रमेश पिछले सात साल से बहराइच जिले के ही मिहीपुरवा क्षेत्र के दरोगा पुरवा में रह रहे हैं. यहीं से वे अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में लगे हैं. पिता माता प्रसाद भी एक्टिव पॉलिटिक्स में रहे हैं, वह लोकदल से दो बार व बसपा के टिकट पर एक बार मनकापुर से चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. रमेश गौतम 1989 में पार्टी की सदस्यता ली थी और पहली बार बहुजन समाज पार्टी से ही 2007 में गोण्डा के डिस्कर से चुनाव लड़कर जीते थे.साल 2012 और 2017 में बीएसपी के टिकट पर मनकापुर (गोण्डा) का चुनाव लड़ा पर हार गए, इसके बाद बसपा से ही उन्होंने 2019 में बलहा सुरक्षित (बहराइच) से चुनाव लड़ा लेकिन फिर हार गए. 

बीएसपी उम्मीदवार डॉ. बिरजेश 
बीएसपी ने बहराइच आरक्षित सीट से डॉ. बिरजेश को उम्मीदवार बनाया है. बसपा बहराइच सुरक्षित सीट पर डॉ. बिरजेश को उताकर अपने परंपरागत वोटों को सहेजना चाहती है. डॉ. बिरजेश लखनऊ विश्वविद्यालय में अस्सिटेंट प्रोफेसर है और पत्नी भी सरकारी सेवारत हैं. जेवरातों के शौकीन  दंपति बैंकों के कर्जदार भी हैं. लोकल उम्मीदवार उतारकर बीएसपी ने मतदाताओं के बीच पैठ बनाने की पूरी कोशिश की है लेकिन चुनाव के बाद ही सफलता असफलता की तस्वीर साफ हो पाएगी. 

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लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम
लोकसभा चुनाव में यूपी की बहराइच संसदीय सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अक्षयवर लाल गोंड 5.25 लाख मत हासिल कर विजयी हुए थे और सपा-बसपा गठबंधन से प्रत्याशी उतरे शब्बीर अहमद को इस चुनाव में केवल 3.96 वोट मिले, इस तरह वे दूसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री बाई फुले रही थी जो कि केवल 34,383 मत पाकर तीसरे नंबर हालिस किया था. अक्षयवर लाल गोंड की जीत का अंतर 1,28,669 वोट था. वहीं साल 2014 में भी इस सीट पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है ऐसे में बीजेपी के सामने हैट्रिक मारने की चुनौती है.

बहराइच के जातीय समीकरण 
बहराइच के जातीय समीकरण पर गौर करें तो पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले इस लोकसभा सीट में 
बलहा सुरक्षित सीट हैं
नानपारा सीट हैं. 
मटेरा सीट हैं. 
महसी सीट हैं. 
बहराइच सदर सीट हैं. 

बहराइच और कैसरगंज दो लोकसभा सीटें
बहराइच जिले में बहराइच और कैसरगंज दो लोकसभा सीटें आती हैं जिसमें से बहराइच एससी आरक्षित सीट है जोकि मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और इसमें 35 फीसदी से ज्यादा मुसलमान जनसंख्या है. दलित मतदाता यहां पर 16 फीसदी हैं और ठीक ठीक संख्या में पिछड़ी जाति के लोग रह रहे हैं. इस ग्रामीण संसदीय क्षेत्र में साक्षरता दर लगभग 48.04% है. यहां अनुसूचित जाति की आबादी करीब 15.6% है, 0.46% अनुसूचित जनजाति है. 

बहराइच लोकसभा से जीते लोगों की लिस्ट
1952 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से रफ़ी अहमद क़िदवई रहे.
1957 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जोगिन्दर सिंह रहे.
1962 में स्वतंत्र पार्टी पार्टी से कुंवर राम सिंह रहे.
1967 में भारतीय जन संघ पार्टी से के.के. नायर रहे.
1971 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से बदलु राम शुक्ला रहे.
1977 में भारतीय लोकदल पार्टी से ओम प्रकाश त्यागी रहे.
1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) पार्टी से मौलाना सैय्यद मुजफ्फर हुसैन रहे.
1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से आरिफ मोहम्मद खान रहे.
1989 में जनता दल पार्टी से आरिफ़ मोहम्मद ख़ान रहे.
1991 में भारतीय जनता पार्टी रुद्रसेन चौधरी से रहे.
1996 में भारतीय जनता पार्टी पदमसेन चौधरी से रहे.
1998 में बहुजन समाज पार्टी आरिफ़ मोहम्मद ख़ान से रहे.
1999 में भारतीय जनता पार्टी पार्टी से पदमसेन चौधरी रहे.
समाजवादी पार्टी से 2004 में रुबाब सईदा रहे.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से 2009 में कमल किशोर रहे.
2014 में भारतीय जनता पार्टी (2 मार्च 2019 के बाद से वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं) सावित्री बाई फुले.
भारतीय जनता पार्टी से 2019 में अक्षयवर लाल.

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