Lucknow News : सुल्तानपुर के एक रिक्शा चालक 27 मार्च को वह टॉयलेट की छत साफ कर रहे थे. इस दौरान अचानक छत छह गई और रिक्शा चालक नीचे गिर गया. इस हादसे में छत पर लगी एक लोहे की रॉड उनके सीने से आर पार हो गई.
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Lucknow News : यूपी के सुल्तानपुर से हैरान करने वाली घटना सामने आई है. यहां एक रिक्शा चालक पर छत गिरने के बाद वह गंभीर रूप से घायल हो गया. रिक्शा चालक के सीने में लोहे की सरिया आरपार हो गई. इसके बाद वह खुद रिक्शा चलाकर निजी अस्पताल पहुंच गया. यहां चिकित्सकों ने उसे लखनऊ केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया. केजीएमयू के डॉक्टरों ने रिक्शा चालक की सरिया निकाल कर उसकी जान बचाई है.
दिल दहला देने वाली घटना
दरअसल, सुल्तानपुर के दुर्गापुर निवासी मुन्ने लाल शर्मा ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं. पिछले दिनों 27 मार्च को वह टॉयलेट की छत साफ कर रहे थे. इस दौरान अचानक छत छह गई और मुन्ने लाल शर्मा नीचे गिर गए. इस हादसे में छत पर लगी एक लोहे की रॉड उनके सीने से आर पार हो गई. इसके बाद भी जांबाज मुन्ने करीब 22 किलोमीटर रिक्शा चलाकर खुद अस्पताल पहुंच गया.
दिल और फेफड़ों को आई थी चोट
डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार कर रिक्शा चालक करे लखनऊ के केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर के लिए रेफर कर दिया. सुल्तानपुर से एंबुलेंस के जरिए मुन्नेलाल को करवट लिटाकर दोपहर 1.30 बजे ट्रॉमा सेंटर लाया गया. एक्स-रे में पता चला कि सरिया मरीज के दिल को छेदते हुए पार हो गई है. इससे फेफड़ों को भी चोट आई है. इसके बाद केजीएमयू के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन का फैसला लिया.
15 डॉक्टरों की टीम ऑपरेशन में रही शामिल
केजीएमयू के 15 डॉक्टरों की टीम ने जटिल सर्जरी में शामिल हुए. केजीएमयू के डॉक्टरों ने बताया कि जटिल हार्ट सर्जरी के लिए मरीज के दिल को रोकना पड़ता है और हार्ट-बाईपास मशीन की जरूरत पड़ती है. मुन्ने आर्थिक रूप से कमजोर था. परिवार बाईपास मशीन अफोर्ड नहीं कर पाता. ऐसे में डॉक्टरों ने धड़कते दिल के साथ ही सर्जरी करने का फैसला किया. सर्जरी सफल रही.
ऐसे निकाला सरिया
केजीएमयू के डॉक्टरों के मुताबिक, रॉड दिल के दोनों चैंबर्स को छेद गई थी, यह चमत्कार ही था कि दिल अब भी धड़क रहा था. एक खतरा था कि अगर हम रॉड निकालते हैं तो भारी मात्रा में खून बहेगा. ऑक्सीजेनेटेड और डीऑक्सीजेनेटेड खून आपस में मिल जाएगा और मरीज की मौत हो जाएगी. इसलिए हमने रॉड को थोड़ा सा धकेला और पहले लेफ्ट चैंबर बंद किया, फिर दाहिने चैंबर को रिपेयर किया.' सर्जरी में कुल 5 घंटे का समय लगा. इस दौरान मरीज को सात यूनिट खून भी चढ़ाया गया. अब मरीज की हालत में सुधार हो रहा है. बताया गया कि इस तरह की सर्जरी पूरे एशिया में पहली बार हुई है.
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