16 अप्रैल 1853: दोपहर 3:30 बजे, 14 डिब्बे, 400 सवारी, 34 KM, 171 साल पहले- रेलवे ने चलाई थी पहली ट्रेन
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16 अप्रैल 1853: दोपहर 3:30 बजे, 14 डिब्बे, 400 सवारी, 34 KM, 171 साल पहले- रेलवे ने चलाई थी पहली ट्रेन

Historical Day: भारतीय रेलवे ने 16 अप्रैल, 1853 को बोरी बंदर से ठाणे तक 34 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी चलाई थी. इसे तीन इंजनों - साहिब, सुल्तान और सिंध - द्वारा चलाया जाता था, और इसमें तेरह डिब्बे थे.

 

16 अप्रैल 1853: दोपहर 3:30 बजे, 14 डिब्बे, 400 सवारी, 34 KM, 171 साल पहले- रेलवे ने चलाई थी पहली ट्रेन

Indian Railways: भारतीय रेलवे राष्ट्र की परिवहन रीढ़ के रूप में जाना जाता है और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है. शहरों के बाहरी इलाकों से लेकर व्यस्त शहरी इलाकों तक, भारतीय रेल नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है. गौरतलब है कि भारतीय रेलवे ने 16 अप्रैल, 1853 को बोरी बंदर से ठाणे तक 34 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी चलाई थी. इसे तीन इंजनों - साहिब, सुल्तान और सिंध - द्वारा चलाया जाता था, और इसमें तेरह डिब्बे थे. तब से, इस दिन को भारतीय रेल परिवहन दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज वही दिन है और इसे 171 साल बीत चुके हैं.

आज ही के दिन चली थी भारतीय रेलवे की पहली ट्रेन

भारतीय रेलवे के मुताबिक, 16 अप्रैल, 1853 को औपचारिक उद्घाटन समारोह हुआ था. उस दिन करीब 400 मेहमानों को ले जाने वाली 14 रेल की डिब्बियां बोरी बंदर से ढेर सारे लोगों की तालियों और 21 तोपों की सलामी के बीच दोपहर 3:30 बजे रवाना हुईं. सेंट्रल रेलवे ने इस अवसर को मनाने के लिए एक्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पुरानी तस्वीर शेयर की और लिखा, "आज से ठीक 171 साल पहले, 1853 में, बोरी बंदर से ठाणे तक पहली ट्रेन की शुरुआती यात्रा के साथ भारत ने परिवहन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया. इस महत्वपूर्ण क्षण ने संपर्क के एक नए युग की शुरुआत की जिसने देश के भविष्य को आकार दिया."

 

 

चली थी स्टीम इंजन वाली एक ट्रेन

तस्वीर भारत में रेलवे के शुरुआती दिनों की है, जिसमें एक स्टीम इंजन (भाप का इंजन) वाली एक ट्रेन दिखाई दे रही है. तब से, ये भारतीय रेलवे देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन सेवा बन चुकी है, जो दुनिया के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से भी एक है. हर रोज ये 2.3 करोड़ से भी ज्यादा यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाती है. यह तस्वीर आज भी ऐतिहासिक है और आगे भी रहेगी.

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