Mahakumbh 2025: 1600 ब्रांच, चार महंत, कैसे काम करता है श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, एक क्लिक में जानें सबकुछ
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Mahakumbh 2025: 1600 ब्रांच, चार महंत, कैसे काम करता है श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, एक क्लिक में जानें सबकुछ

Mahakumbh 2025: महाकुंभ को लेकर अखाड़ों के साधु संतों को भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. आपको बता दें कि सारे अखाड़े महाकुंभ में स्नान करने के लिए जाते हैं. ऐसे में उन अखाड़ों में से आज हमने श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के बारे में जानकारी हासिल की.

Mahakumbh 2025: 1600 ब्रांच, चार महंत, कैसे काम करता है श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, एक क्लिक में जानें सबकुछ

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में साल 2025 में होने वाले महाकुंभ को लेकर तैयारियां जोरो पर है. महाकुंभ में अखाड़ों का बहुत ही महत्व होता है. ऐसे में आज हम आपको अखाड़ों को लेकर बताएंगे कि किस अखाड़ा की क्या परंपरा है और क्या है उसका इतिहास. इसके अलावा यह भी बताएंगे कि आखिर कैसे और किस आधार पर स्नान का दिन तय किया जाता है.

शुरु हुई भूमि आवंटन की प्रक्रिया

महाकुंभ को लेकर अखाड़ों के साधु संतों को भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. आपको बता दें कि सारे अखाड़े महाकुंभ में स्नान करने के लिए जाते हैं. ऐसे में उन अखाड़ों में से आज हमने श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के बारे में जानकारी हासिल की.

क्या है अखाड़े का महत्व

जानकारी देते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने बताया कि हमारे अखाड़े का बड़ा महत्व है इस अखाड़े के ईष्ट देव श्री श्री 1008 चंद्र जी भगवान हैं और ब्रह्मा जी के चारों पुत्रों हैं. उनकी उदासीन परंपरा को हम मानते हैं.

यहां जानें कैसे करता है काम

1600 हमारी शाखाएं हैं, चारों स्थानों पर जहां महाकुंभ लगता है, वहां हमारी शाखाएं हैं. चार पंगत होते हैं जिसके चार महंत बनते हैं, जिसमें से एक श्री महंत होते हैं और यह सारे अखाड़े की व्यवस्थाओं का संचालन करते हैं. आर्य श्री प्रयागराज तीर्थ क्षेत्र में 2025 के कुंभ में यह अखाड़ा अपना विशेष स्थान रखता हैं.

प्रयागराज में गिरी थी अमृत की बूंद

स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कुंभ के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हम सब जानते हैं कि जब समुद्र मंथन हुआ था तब भारतवर्ष में चार जगह अमृत की बूंदे गिरी थी- हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक. इसलिए हर 12 साल के बाद इन चारों जगह पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है और वहां पर भारतवर्ष ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का हिंदू और सभी सनातनी एकत्र होते हैं.

सभी अनुयाई लेते हैं भाग

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का स्थान रहता है. जैसे इस वर्ष 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है और इस महाकुंभ में भारतवर्ष के सभी संत, महंत, महामंडलेश्वर और जितने भी हमारे अनुयाई हैं, वह सब वहां पर आते हैं.

कब है प्रथम शाही स्नान

प्रयागराज महाकुंभ में मकर संक्रांति को प्रथम शाही स्नान है. मकर संक्रांति के दिन प्रशासन के द्वारा स्नान का समय निर्धारित रहता है. हम सब जानते हैं कि जब विशेष रूप से शाही स्नान का समय होता है वह अमृतवेला होती है. उस अमृत काल में ऐसी मान्यता है कि देवता, ऋषि, मुनि, गंधर्व सब स्नान करने के लिए मां गंगा में आते हैं. इसलिए पहले स्नान उनका होता है. उसके बाद हम सब अखाड़े स्नान करते हैं उसके बाद आम जनमानस स्नान होता हैं.

क्यों है प्रयागराज महाकुंभ का महत्व

प्रयागराज के महाकुंभ का सबसे ज्यादा महत्व क्यों है? इस बारे में रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने बताया कि प्रयागराज का नाम ही प्रयाग है. उसको तीर्थ का राजा कहा जाता है, प्रयाग में त्रिवेणी का संगम है इसलिए वहां पर स्नान करने का बहुत बड़ा महत्व होता हैं और प्रयागराज अनादि काल से ही तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है.

विशेष रूप से बहुत बड़ा भूभाग भी त्रिवेणी के तट पर, जहां स्नान लगता है, मेले की जो जगह है वह बहुत बड़े क्षेत्रफल में लगता है. इसलिए भी इसका बहुत बड़ा महत्व है. मुझे लगता है कि इस बार इस मेले में लगभग 80 लाख से एक करोड़ लोग स्नान करने के लिए प्रयागराज के महाकुंभ मेले में आएंगे.

क्या कहते हैं रूपेंद्र प्रकाश महाराज

प्रयागराज के महाकुंभ व्यवस्थाओं की जानकारी देते हुए रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने बताया कि सरकार ने इस बार बहुत अच्छी व्यवस्थाएं की हुई हैं. हमने जितनी जमीन मांगी थी उतनी जमीन हमें आवंटित कर दी गई है. जमीन आवंटित होने के बाद हम अपने इष्ट देवता को स्थापित करते हैं और एक पूरी छावनी जैसी लगती है उसमें सब साधु संत महंत सब होते हैं. कुछ व्यवस्थाएं सरकार करती है और कुछ व्यवस्थाएं व्यक्तिगत रूप से अखाड़ा स्वयं करता है. महाकुंभ में सरकार भी बहुत बड़ी व्यवस्था में अपना योगदान देती है.

क्या हो सकता है बेहतर

महाकुंभ के दौरान और क्या बेहतर किया जा सकता है? इस पर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि महाकुंभ के दौरान अखाड़े के स्नान करने का स्थान और समय निर्धारित रहता है लेकिन सरकार को जरूरत है कि जो आने वाले श्रद्धालु हैं उनके लिए उचित व्यवस्थाएं करनी चाहिए.

जैसे बहुत बड़ी मात्रा में शौचालय, स्नानागार और आने वाले श्रद्धालुओं के रुकने के लिए टेंट की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि हर कोई सनातन धर्म में यह सोचता है कि वह अपने जीवन काल में एक बार महाकुंभ में स्नान करने जरूर जाए. इसलिए उनके रहने और खाने की व्यवस्थाओं पर ध्यान देने की जरूरत है.

ये है अखाड़े की ओर से व्यवस्था

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद एक साधु हैं और व्यवस्थाओं से जुड़े रहे हैं. उनके द्वारा मेडिकल और एंबुलेंस की व्यवस्था दी जा रही हैं. एसएसपी लेवल के कई अधिकारियों की ड्यूटी संपूर्ण मेला क्षेत्र में लगाई गई है. जैसे एक शहर बसता है वैसे ही प्रयागराज के महाकुंभ में भी सभी व्यवस्थाएं की गई हैं.

35 से 40 लाख लोग हमारे अखाड़े से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. अखाड़े से जुड़े हुए जितने भी अनुयायी प्रयागराज के महाकुंभ में आएंगे, उन सब के रहने-खाने, शाही स्नान में शाही रथ की व्यवस्थाएं अखाड़े के द्वारा की जा रही है. (IANS की रिपोर्ट)

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