हरिशंकर परसाई के मशहूर व्यंग, जो दिखाते हैं समाज को आइना

हरिशंकर परसाई

हरिशंकर परसाई जी के व्यंग्य की धार ऐसी है कि वक्त बीतने के साथ और तीखी होती चली जाती है.

व्यंग्यकार

हिन्दी जगत में हरिशंकर परसाई एक बड़ा नाम है, वह आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात व्यंग्यकार थे और अपनी सरल और सीधी शैली के लिए जाने जाते हैं.

पमुख व्यंग

आज हम आपके लिए लाए हैं उनके कुछ पमुख व्यंग जो समाज को सच का आइना दिखाते हैं

व्यस्त आदमी को अपना काम करने में जितनी अक्ल की जरूरत पड़ती है, उससे ज्यादा अक्ल बेकार आदमी को समय काटने में लगती है.

जिनकी हैसियत है वे एक से भी ज्यादा बाप रखते हैं. एक घर में, एक दफ्तर में, एक-दो बाजार में, एक-एक हर राजनीतिक दल में.

दिवस कमजोर का मनाया जाता है, जैसे महिला दिवस, अध्यापक दिवस, मजदूर दिवस। कभी थानेदार दिवस नहीं मनाया जाता.

विचार जब लुप्त हो जाता है, या विचार प्रकट करने में बाधा होती है, या किसी के विरोध से भय लगने लगता है. तब तर्क का स्थान हुल्लड़ या गुंडागर्दी ले लेती है.

हमारे लोकतंत्र की यह ट्रेजेडी और कॉमेडी है कि कई लोग जिन्हें आजन्म जेलखाने में रहना चाहिए वे जिन्दगी भर संसद या विधानसभा में बैठते

बेइज्जती में अगर दूसरे को भी" शामिल कर लो तो आधी इज्जत बच जाती है.