ख़बर

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है, कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है.

ज़ेहन

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया, इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया.

मात हो गई

ये एक बात समझने में रात हो गई है, मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है.

फ़ैसला

ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे, अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे.

ख़्वाब

सो रहेंगे कि जागते रहेंगे, हम तिरे ख़्वाब देखते रहेंगे.

बिस्तर

आईने आंख में चुभते थे बिस्तर से बदन कतराता था, एक याद बसर करती थी मुझे मै सांस नहीं ले पाता था.

कश्ती

मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ, पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे.

दिन-रात

मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ, वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता.

मसअला

तुझ को पाने में मसअला ये है, तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे.

घर

कौन तुम्हारे पास से उठ कर घर जाता है, तुम जिसको छू लेती हो वो मर जाता है.