किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है, कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है.
तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया, इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया.
ये एक बात समझने में रात हो गई है, मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है.
ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे, अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे.
सो रहेंगे कि जागते रहेंगे, हम तिरे ख़्वाब देखते रहेंगे.
आईने आंख में चुभते थे बिस्तर से बदन कतराता था, एक याद बसर करती थी मुझे मै सांस नहीं ले पाता था.
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ, पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे.
मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ, वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता.
तुझ को पाने में मसअला ये है, तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे.
कौन तुम्हारे पास से उठ कर घर जाता है, तुम जिसको छू लेती हो वो मर जाता है.