Plastic Stone: प्रकृति के लिए बढ़ी चुनौती, इस द्वीप पर पाए गए प्लास्टिक के बने पत्थर; वैज्ञानिकों ने कहा- दुनिया के लिए बड़ी चेतावनी
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Plastic Stone: प्रकृति के लिए बढ़ी चुनौती, इस द्वीप पर पाए गए प्लास्टिक के बने पत्थर; वैज्ञानिकों ने कहा- दुनिया के लिए बड़ी चेतावनी

Plastic Stone Found: दुनिया में प्रदूषण का खतरा किस कदर बढ़ रहा है, इसकी ताजी झलक एक बार फिर दिखाई दी है. ब्राजील के एक द्वीप पर पहली बार प्लास्टिक के पत्थर मिले हैं. ये पत्थर वहां लोगों द्वारा फेंके गए प्लास्टिक वेस्ट से बने हैं. 

Plastic Stone: प्रकृति के लिए बढ़ी चुनौती, इस द्वीप पर पाए गए प्लास्टिक के बने पत्थर; वैज्ञानिकों ने कहा- दुनिया के लिए बड़ी चेतावनी

Plastic Stone Found in Brazil: यह बात सब जानते हैं कि पत्थरों निर्माण चूना-मिट्टी के चिपकने से हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रकृति में प्लास्टिक के पत्थर भी होते हैं. हाल में ब्राजील (Brazil) के त्रिनडेड आइलैंड पर वैज्ञानिकों को ऐसे ही प्लास्टिक के पत्थर (Plastic Rocks) मिले हैं. यह एक ज्वालामुखीय द्वीप है, जब वैज्ञानिक वहां पर मिट्टी और पत्थरों की जांच करने पहुंचे तो यह देखकर हैरान रह गए कि वहां पर प्लास्टिक के पत्थर भी मिले हैं. 

ऐसे फैल रहा प्लास्टिक प्रदूषण

वैज्ञानिकों के मुताबिक द्वीप पर प्लास्टिक के पत्थर मिलना दुनिया में प्लास्टिक के बढ़ते ढेर का नतीजा है. रिसर्च में पता चला कि जब मछुआरे अपनी नावें लेकर मछली पकड़ने के लिए द्वीप पर पहुंचते हैं तो वे अपने बहुत सारे कचरे को वहीं छोड़ आते हैं या फिर समुद्र में फेंक देते हैं. बाद में यही कचरा बहकर द्वीप के किनारे आ जाता है. तापमान बढ़ने की वजह से जब बाकी चीजें पिघलती हैं तो यह प्लास्टिक कचरा भी मिट्टी, रेत के साथ मिलकर प्लास्टिक के पत्थरों (Plastic Stone) में तब्दील हो जाते हैं. 

बड़े इलाके में मिले अजीब पत्थर

इस अनोखी घटना पर रिसर्च कर रहे साइंटिस्टों के अनुसार प्लास्टिक के ये पत्थर (Plastic Stone) बहुत बड़े इलाके में फैले हुए मिले हैं. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इंसान की बेवकूफी ने इस द्वीप को नष्ट करना शुरू कर दिया है. समस्या ये है कि यह प्रदूषण अब जमीन के नीचे तक पहुंच गया है. मामले की जांच कर रहे वैज्ञानिकों ने जब द्वीप पर अजीब पत्थर देखे तो पता चला कि वे प्लास्टिग्लोमरेट्स हैं, जिनका निर्माण प्लास्टिक, मिट्टी, रेत और दूसरे पदार्थो से मिलकर हुआ है. 

प्रकृति को पहुंच रहा जबरदस्त नुकसान

फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पाराना की जियोलॉजिस्ट फरनांडा एवलर सांटोस कहती हैं कि इस प्लास्टिक प्रदूषण से पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है. असल में त्रिनडेड आइलैंड हरे कछुओं के प्रजनन और रहने का प्राकृतिक स्थान है. इस द्वीप पर हर साल हजारों की संख्या में हरे कछुए अपने अंडे देने आते हैं. ऐसे में वहां पर प्लास्टिक वेस्ट (Plastic Stone) बढ़ने से पूरी प्रकृति को जबरदस्त नुकसान पहुंच रहा है. जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकेगी. 

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