Russia China News in Hindi: व्लादिमीर पुतिन 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं. इसके बाद अपने पहले विदेशी दौरे पर वे चीन पहुंचे हैं. आखिर उन्होंने विदेशी दौरे के लिए चीन को ही क्यों चुना. इसका राज सामने आ रहा है. उनके इस दौरे से नाटो- अमेरिका में टेंशन है.
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Vladimir Putin China Visit 2024: व्लादिमीर पुतिन ने 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति पद की शपथ ली और इसके बाद अपने पहले विदेशी दौरे पर सीधे चीन पहुंच गए हैं. वहां पर उनके मित्र और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गर्मजोशी से स्वागत किया. वहां से सामने आई तस्वीरों को देखकर अमेरिका के साथ-साथ तमाम पश्चिमी देश टेंशन में आ गए हैं. रूसी राष्ट्रपति ये दौरा ऐसे समय पर कर रहे हैं जब यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ अपने प्रतिबंधों को बढ़ा दिया है तो रूस के सैनिकों ने भी यूक्रेन पर हमले तेज़ कर दिए हैं.
पहले विदेश दौरे के लिए चीन को ही क्यों चुना?
पुतिन और जिनपिंग आज रिपब्लिक ऑफ चाइना के 75 साल पूरे होने के जश्न में शामिल हुए. लेकिन सवाल ये है कि शपथ लेने के बाद पुतिन ने पहले विदेश दौरे के लिए चीन को ही क्यों चुना? वैश्विक तौर पर देखा जाए तो चीन ने रूस का बीते कुछ समय से हमेशा साथ दिया है. बीजिंग ने यूक्रेन युद्ध में राजनीतिक रूप से रूस का समर्थन किया है. भले ही चीन सीधे तौर पर रूस को हथियार का मुहैया नहीं करा रहा है लेकिन वो रूस को मशीन के पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और दूसरे सामान का निर्यात जारी रखे हुए है. इसके अलावा फरवरी 2022 में दोनों देशों ने 'नो लिमिट्स' पार्टनरशिप का ऐलान भी किया था
इन बड़े कामों पर पुतिन की नजर
पुतिन का ये दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब जिनपिंग फ्रांस, सर्बिया और हंगरी की यात्रा कर लौटे हैं. जिनपिंग के साथ मुलाकात में पुतिन का सबसे बड़ा एजेंडा 'पावर ऑफ साइबेरिया 2' पाइपलाइन प्रोजेक्ट से जुड़ी डील का है. इस प्रोजेक्ट के तहत उत्तरी रूस से चीन तक नेचुरल गैस की सप्लाई होगी. चीन और रूस के बीच हुआ ये समझौता अब तक अधूरा है.
दुनिया में फिर से दबदबा पाने की कोशिश
इसके अलावा, पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन जंग के कारण रूस की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई चीन से हो जाए. वैसे तो कई सालों में रूस और चीन के बीच कारोबार काफी बढ़ा है, लेकिन पुतिन इसे और बढ़ाना चाहते हैं. क्रेमलिन के मुताबिक दोनों नेता आज चाय पर अनौपचारिक बातचीत करेंगे जिसमें दोनों यूक्रेन, एशिया, ऊर्जा और व्यापार के मुद्दे पर बात करने वाले हैं.
अमेरिका- नाटो देशों की खास नजर
पुतिन के साथ इस यात्रा पर नए रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव, विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु और विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव भी हैं. पुतिन के काफिले में रूस के सबसे शक्तिशाली CEO भी शामिल हैं. पुतिन की इस चीन यात्रा पर यूरोप, अमेरिका समेत कई देशों की नज़र है. खासकर यूक्रेन जो अमेरिका से लगातार मदद की उम्मीद लगाए बैठा है. देखना होगा कि पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात के दौरान पश्चिम देशों के खिलाफ क्या रणनीति बनती है.
दो दिनों के चीन दौरे पर पुतिन
पांचवी बार रूस का राष्ट्रपति बनने के बाद व्लादिमिर पुतिन अपना पहला विदेशी दौरा कर रहे हैं. उनका दो दिनों का चीन दौरा गुरुवार से शुरु हो रहा है. वे ये दौरा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के न्योते पर कर रहे हैं. 6 महीने के भीतर पुतिन का ये दूसरा चीन दौरा है. ये रूस और चीन के बीच गहराते संबंधों का सबूत है. चीन पहुंचने से पहले पुतिन ने शी जिनपिंग की जमकर तारीफ़ की.
कहा जा रहा है कि पुतिन ने इस दौरे से अपनी प्राथमिकताओं को लेकर दुनिया को एक मैसेज दिया है. पुतिन ने बता दिया है कि शी जिनपिंग से उनके संबंध बहुत मायने रखते हैं. रूस मौजूदा माहौल में तेजी के साथ चीन के करीब आया है. इसकी कई वजहें हैं. पहली वजह पश्चिमी देशों से निपटने के लिए चीन जैसे शक्तिशाली देश का समर्थन है. दूसरा डूबती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए भी उन्हें किसी बड़े साझेदार की जरूरत है. ये दोनों जरूरतें चीन से पूरी हो रही हैं, लिहाजा पुतिन भी मौके को गंवाए बिना चीन के साथ अपने रिलेशन गहरे करने में लगे हुए हैं.
पुतिन ने चीन का जताया आभार
पुतिन ने गुरुवार को बीजिंग शिखर सम्मेलन में यूक्रेन संघर्ष को हल करने के लिए चीन की पहल के लिए शी जिनपिंग का आभार व्यक्त किया. पुतिन ने कहा, 'हमने चीनी नेता शी जिनपिंग को यूक्रेन संकट के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उनकी ओर से शांति के लिए की जा रही पहल के लिए हम अपने चीनी सहयोगियों और दोस्तों के आभारी हैं.'
क्या चीन खत्म करवाएगा यूक्रेन युद्ध?
इस पर जिनपिंग ने कहा, 'चीन को उम्मीद है कि यूरोप जल्द ही शांति और स्थिरता में लौट आएगा और उनका देश इस मामले में रचनात्मक भूमिका निभाएगा.' बताते चलें कि चीन ने पिछले साल यूक्रेन युद्ध को खत्म करवाने के लिए खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश करना शुरू किया है. इसके लिए उसने यूक्रेन और रूस के सामने एक व्यापक योजना की पेशकश की थी. हालांकि इसके बारे में डिटेल में कोई जानकारी नहीं आई थी कि उसने युद्ध खत्म करने के लिए दोनों देशों को क्या ऑफर दिया था.