China-US Relations: बाइडन प्रशासन ने घोषणा की है कि सरकार आने वाले पांच सालों में अमेरिका में क्रेन बनाने के लिए 20 अरब डॉलर खर्च करेगी.
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Chinese Made Cranes: अमेरिका और चीन के बीच अब एक नया मुद्दा विवाद की वजह बन गया है. इस बार चीन में बनी क्रेनें दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण बना रही है. बाइडन प्रशासन ने घोषणा की है कि सरकार आने वाले पांच सालों में अमेरिका में क्रेन बनाने के लिए 20 अरब डॉलर खर्च करेगी. अमेरिकी सरकार चीनी क्रेनों से साइबर खतरे भी महसूस हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी कोस्ट गार्ड चीन में बने क्रेन से जुड़े लेकर साइबर खतरे को देखते हुए नए निर्देश जारी करेगा.
सीएनबीसी की एक रिपोर्ट में वरिष्ठ प्रशासन अधिकारियों ने के हवाले से कहा गया कि अमेरिकी बंदरगाहों पर व्यापार करने वाली 80 प्रतिशत क्रेनें चीन में बनी हैं. इस क्रेनों में चीनी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है, जिससे यह चिंता पैदा हो गई है कि चीन इन क्रेनों का उपयोग निगरानी रखने के लिए कर सकता है.
वहीं चीन ने वाशिंगटन के आरोपों को खारिज कर दिया है. शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, 'अमेरिका का ये दावा कि चीन में बनी क्रेनों से सुरक्षा ख़तरा हो सकता है, पूरी तरह से निराधार है.'
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक माओ ने कहा, 'चीन मजबूती से अमेरिका द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने और चीनी उत्पादों और कंपनियों के पीछे स्टेट की शक्ति का दुरुपयोग करने का विरोध करता है.' उन्होंने कहा कि आर्थिक और व्यापार मुद्दों को हथियार बनाने से वैश्विक औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुरक्षा जोखिम बढ़ जाएंगे और अनिवार्य रूप से इसका उलटा असर होगा.
‘अमेरिका को बाजार अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के सिद्धांतों का सम्मान करने और चीनी कंपनियों के लिए निष्पक्ष, न्यायपूर्ण और गैर-भेदभावपूर्ण वातावरण प्रदान करने की आवश्यकता है। चीन चीनी कंपनियों के वैध और वैध अधिकारों और हितों की दृढ़ता से रक्षा करना जारी रखेगा.’
गौरतलब है कि क्रेन उन भारी मशीनें को कहा जाता है जिनका इस्तेमाल बंदरगाहों में कंटेनर्स को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और जहाज़ों पर कंटेनर चढ़ाने-उतारने के लिए किया जाता है. बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में भी इनका इस्तेमाल होता हैं.