नई दिल्लीः सीबीआई ने गुरुवार को पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के दिल्ली स्थित आवास और कार्यालय की तलाशी ली है. जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में मलिक के आवास पर सीबीआई ने छापेमारी की है. मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर के 30 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी को अंजाम दिया है.
CBI conducts raids at more than 30 places, including the premises of former Jammu and Kashmir Governor Satyapal Malik, as part of its investigation into alleged corruption linked to the awarding of a Kiru Hydroelectric project contract in the UT: Sources
— ANI (@ANI) February 22, 2024
करीब 100 अधिकारियों ने मारा छापा
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने कई शहरों में 30 स्थानों पर सुबह छापे मारे, जिसमें लगभग 100 अधिकारी शामिल हुए. उन्होंने बताया कि यह मामला 2,200 करोड़ रुपये के किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (एचईपी) के सिविल कार्यों को आवंटित करने में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है. मलिक 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे.
मलिक ने रिश्वत की पेशकश का किया था दावा
उन्होंने दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. इनमें से एक फाइल परियोजना से संबंधित थी. सीबीआई ने चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (पी) लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी और अन्य पूर्व अधिकारियों एम एस बाबू, एम के मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में पिछले महीने भी जांच केदौरान दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में करीब 8 जगहों पर छापेमारी की गई थी. तब सीबीआई ने छापे में 21 लाख रुपये से ज्यादा कैश, डिजिटल उपकरण, कंप्यूटर आदि चीजें बरामद की थी.
क्या हैं आरोप?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामले में आरोप यह है कि कीरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से जुड़े सिविल कार्यों के आवंटन में ई-टेंडरिंग के संबंध में दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया था. साथ ही आरोप है कि चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की 47वीं बोर्ड बैठक में रिवर्स ऑक्शनिंग के साथ ई-टेंडरिंग के जरिए फिर से कॉन्ट्रैक्ट आवंटित करने का फैसला लिया गया था. चल रही टेंडर प्रोसेस को रद्द करने के बाद इसे लागू नहीं किया गया. साथ ही 48वीं बोर्ड बैठक में पुरानी मीटिंग का फैसला पलट दिया गया.
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