जानें क्या है CAR-T Cell थेरेपी, जिसकी मदद से कम कीमत में भारतीय करवा सकते हैं कैंसर का इलाज

कैंसर के इलाज में मदद करने वाली जीन आधारित इस थेरेपी को IIT बॉम्बे, टाटा मेमोरियल सेंटर और ImmunoACT ने विकसित किया है. बता दें कि विदेशों में इस इलाज के लिए करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. 

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Apr 6, 2024, 06:46 PM IST
  • कैंसर को लेकर भारत की नई उपलब्धि

    CAR-T Cell थेरेपी का होगा इस्तेमाल
जानें क्या है CAR-T Cell थेरेपी, जिसकी मदद से कम कीमत में भारतीय करवा सकते हैं कैंसर का इलाज

नई दिल्ली: कैंसर का खतरा वैश्विक स्तर पर काफी तेजी से बढ़ रहा है. हर साल इस गंभीर रोग की चपेट में आने से सैकड़ों मौतें होती हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक समय पर इस बीमारी का इलाज न मिलने से मृत्युदर में काफी वृद्धि होती है. कैंसर को लेकर भारत में ने एक नई उपलब्धि हासिल की है. बता दें कि विदेशों की तरह ही भारत में भी कैंसर के इलाज के लिए CAR-T Cell थेरेपी को अपनाया जाएगा. 

कम खर्चे में होगा इलाज 
कैंसर के इलाज में मदद करने वाली जीन आधारित इस थेरेपी को IIT बॉम्बे, टाटा मेमोरियल सेंटर और ImmunoACT ने विकसित किया है. विदेशों में इस इलाज के लिए करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, हालांकि भारत में इसका खर्चा सिर्फ 30 लाख रुपए ही आएगा. इसके अलावा मरीजों को बोझ उठाए बिना ही इसका एडवांस ट्रीटमेंट मिल सकेगा. 

क्या है CAR-T Cell थेरेपी?  
बता दें कि CAR-T Cell थेरेपी में कैंसर सेल्स को टारगेट करने और इन्हें नष्ट करने के लिए बॉडी की इम्यून सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. फिर इसके जरिए कैंसर का ट्रीटमेंट किया जाता है. इस थेरेपी को काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर T-Cell थेरेपी भी कहा जाता है. इसके अलावा CAR-T Cell थेरेपी में कैंसर सेल्स की पहचान करने और उन पर हमला करने के लिए मरीज की  T-Cell को मॉडिफाई किया जाता है और फिर ट्रीटमेंट के लिए इन सभी को टारगेट किया जाता है. 

किस कैंसर में आ सकता है काम 
CAR-T Cell थेरेपी काफी मुश्किल प्रक्रिया है. इसमें कई हफ्ते तक लग सकते हैं. इस थेरेपी के बाद मरीज को निगरानी में रखा जाता है. इसके चलते उन्हें इलाज के बाद कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है. बता दें कि CAR-T Cell को मुख्य रूप से ल्यूकोमिया जैसे कई तरह के ब्लड कैंसर के लिए अप्रूव किया गया है. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी रिसर्च  पर आधारित है, लेकिन Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

 

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