Hi1a: हार्ट अटैक और स्ट्रोक में दवाई का काम कर सकता है इस घातक मकड़ी का जहर, स्टडी में हुआ खुलासा

यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड इंस्टीट्यूट फॉर मॉलूक्यूलर बायोसाइंस की एक स्टडी में पाया गया है कि केगारी फनल वेब स्पाइडर के जहरीले जहर के मॉलीक्यूल का इस्तेमाल दिल के दौरे और स्ट्रोक के इलाज के लिए किया जा सकता है.      

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Jan 18, 2024, 06:20 PM IST
  • हार्ट अटैक में काम आ सकता है जहर
  • साइड इफेक्ट की कम है संभावना
Hi1a: हार्ट अटैक और स्ट्रोक में दवाई का काम कर सकता है इस घातक मकड़ी का जहर, स्टडी में हुआ खुलासा

नई दिल्ली:  यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड इंस्टीट्यूट फॉर मॉलूक्यूलर बायोसाइंस की हाल ही में एक स्टडी सामने आई है. 'द सन' में छपी इस स्टडी के मुताबिक केगारी फनल वेब स्पाइडर के जहरीले जहर के मॉलीक्यूल का इस्तेमाल दिल के दौरे और स्ट्रोक के इलाज के लिए किया जा सकता है. यूनिवर्सिटी के एसोशिएट प्रोफेसर नाथन पालपेंट और प्रोफेसर ग्लेन किंग ने फ्रेजर आइलैंड फनल वेब स्पाइडर के जहर में पाए गए एक मॉलीक्यूल से एक दवा विकसित की है, जिसे Hi1a कहा गया है. 

बच सकती हैं डैमेज सेल्स 
स्टडी के दौरान पाया गया कि यह मॉलीक्यूल हमारी कोशिकाओं को हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण हुए डैमेज से बचा सकता है. इसके लिए कई तरह के प्री क्लीनिकल टेस्ट भी किए गए. डॉक्टर पालपेंट ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने पर हमारे शरीर के अंगो में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. ऐसे में ऑक्सीजन की कमी के कारण हमारी कोशिकाएं अम्लीय हो जाती हैं, जो मिलकर हार्ट सेल्स को मरने का संदेश भेजते हैं. वहीं कई दशकों की रिसर्च के बावजूद इस तरह की दवाई का ईजाद नहीं पाया है, जो हार्ट सेल्स में डेथ के सिग्नल्स को रोक सके. यही वजह है कि हृदय रोगों से से होने वाली मौतें दुनियाभर में बढ़ती ही जा रही हैं, हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि Hi1a इस डेथ सिग्नल को रोकने में मदद कर सकती है. 

क्या है Hi1a?  
डॉ. पालपेंट के मुताबिक मकड़ी के जहर से निकलने वाला Hi1a प्रोटीन हृदय में एसिड-सेंसिंग आयन चैनलों को ब्लॉक करता है, जिससे कोशिकाओं को डेथ का सिग्नल वाला मैसेज भी ब्लॉक हो जाता है.  इससे सेल्स की मृत्यु कम हो जाती है और हार्ट सेल्स में सुधार आता है. 

ट्रायल के लिए आगे बढ़ेगी Hi1a?  
'द यूरोपियन हार्ट जर्नल' में छपी एक रिसर्च के मुताबिक फिलहाल, ऐसी कोई क्लीनिकली अप्रूव्ड दवाई नहीं है जो दिल का दौरा पड़ने के बाद सेल्स की डेथ को रोकने में मदद कर सके. कैरिपोराइड अब तक 3 क्लीनिकल ट्रायल्स तक पहुंचने वाली एकमात्र कार्डियोप्रोटेक्टिव दवाई है, जिसके दुष्प्रभाव पाए जाने के बाद इसे बंद कर दिया गया था. वहीं अब Hi1a ने अपने प्री-क्लिनिकल टेस्ट के दौरान उपचार बनने की दिशा में महत्वपूर्ण मानकों को पूरा कर लिया है यानी कि यह परीक्षण अब अगले ट्रायल में आगे बढ़ सकते हैं.  

Hi1a के साइड इफेक्ट्स
इसको लेकर डॉक्टर पालपेंट ने कहा, "ये परीक्षण हमें यह समझने में मदद करने की दिशा में एक बड़ा कदम है कि Hi1a चिकित्सीय के रूप में कैसे काम करेगा. दिल के दौरे के किस चरण में इसका उपयोग किया जा सकता है और इसकी खुराक क्या होनी चाहिए.'  हमने साबित किया है कि Hi1a हृदय की रक्षा करने में उतना ही प्रभावी है जितना कि कार्डियोप्रोटेक्टिव दवाई थी, जो साइड इफेक्ट के कारण बंद कर दी गई.' उन्होंने आगे कहा, ' Hi1a किसी हमले के दौरान केवल हृदय के घायल क्षेत्र में कोशिकाओं के साथ संपर्क करता है और हृदय के स्वस्थ क्षेत्रों से नहीं जुड़ता है, जिससे इसके साइड इफेक्ट की संभावना कम हो जाती है.'   

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