Chandigarh News: इस वर्कशॉप का उद्घाटन करते हुए चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीसीपीसीआर) की पूर्व चेयरपर्सन प्रोफेसर देवी सिरोही ने कहा कि गांधी जी ने अपना जीवन सत्य की खोज के व्यापक उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया.
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Chandigarh News/दीपक धीमान की रिपोर्ट: शहर की स्वयंसेवी संस्था युवसत्ता (यूथ फॉर पीस), नॉवेल बंच और न्यू पब्लिक स्कूल, सेक्टर-18 के पीस क्लब की ओर से सोमवार को स्कूल में एकता+विविधता=भारत की थीम पर ट्राइसिटी के 50 से अधिक प्रमुख स्कूलों और कॉलेजों के पीस क्लबों के प्रभारी शिक्षकों के लिए एक 'पीस क्लब ओरिएंटेशन वर्कशॉप' का आयोजन किया गया. इस वर्कशॉप का उद्घाटन करते हुए चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीसीपीसीआर) की पूर्व चेयरपर्सन प्रोफेसर देवी सिरोही ने कहा कि गांधी जी ने अपना जीवन सत्य की खोज के व्यापक उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया.
आत्मकथा का नाम द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ रखा
उन्होंने अपनी गलतियों से सीखकर और खुद पर प्रयोग करके इसे हासिल करने की कोशिश की और इस तरह उन्होंने अपनी आत्मकथा का नाम द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ रखा और सुखी और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण और सादगी के साथ सच्चा जीवन जीने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. गांधी जी को कोट करते हुए, उन्होंने बच्चों में वह बदलाव लाने की भी वकालत की, जो वे दुनिया में देखना चाहते हैं. स्कूल की सभी लाइब्रेरी में एक गांधी कॉर्नर की भी सिफारिश की गई.
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इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए युवसत्ता के समन्वयक प्रमोद शर्मा ने बताया कि 20 साल पहले 2004 में, उन्होंने चंडीगढ़ के स्कूलों में पीस क्लब की इस अवधारणा को शुरू किया था, जिसे बाद में 2006 में एनसीईआरटी द्वारा अपनाया गया था और यह प्रशिक्षण वर्कशॉप रचनात्मक गतिविधियों, चर्चाओं, बातचीत और रचनात्मक संवादों के माध्यम से शिक्षकों को अहिंसा के सकारात्मक पहलू के प्रति प्रशिक्षित करने के लिए डिज़ाइन की गई है, इसमें गतिविधियों का फोकस संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य-एसडीजी 16 के आसपास रहता है, जो शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएं हैं और एसडीजी5 जो लैंगिक समानता है.
नॉवेल बंच के संस्थापक हरदीप चंदपुरी ने युद्ध-नायकों के अपने परिवार की कहानियां सुनाते हुए कहा कि सैनिक युद्ध के बारे में बात करने वाले अंतिम व्यक्ति होंगे, क्योंकि वे अपने प्रियजनों को खोने के दर्द को अच्छी तरह से जानते हैं। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि समय की मांग के अनुसारसवे सर्वोच्च बलिदान देने वाले और देश का सम्मान बचाने वाले पहले व्यक्ति होंगे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया आधी सदी में अत्यधिक जियोपॉलिटिकल महत्व वाले सबसे खराब युद्ध परिदृश्य का सामना कर रही है। हम एक-दूसरे के बच्चों को मारकर यह नहीं सीखेंगे कि शांति से एक साथ कैसे रहा जाए।
स्कूलों और कॉलेजों में पीस क्लब की अवधारणा की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि विविधता और जटिलता से भरे आज के वैश्विक परिदृश्य में पीस एजुकेशन की प्रासंगिकता को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया जा सकता. यह बच्चों को पारस्परिक और सामुदायिक चुनौतियों से निपटने के कौशल से लैस करता है. छात्रों के साथ बातचीत करने वाले प्रमुख लोगों में डॉयरेक्टर प्रोफेसर सुखमनी कौर और न्यू पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल मनीष हबलानी तथा वरिष्ठ पत्रकार शायदा बानो शामिल थीं.
इस अवसर पर पीस क्लबों के लिए गतिविधियों के मैनुअल के अलावा, महात्मा गांधी की किताबें, पीस क्लब के सदस्य छात्रों और शिक्षकों के लिए पीस बैज और स्कूलों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए पीस फ्लैग्स का भी प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों द्वारा अनावरण किया गया.