Himachal News: हिमाचल में आपदा को रोकने के लिए केरल की तर्ज पर हो काम- गुमान सिंह
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Himachal News: हिमाचल में आपदा को रोकने के लिए केरल की तर्ज पर हो काम- गुमान सिंह

Himachal Pradesh News: गुमान सिंह ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में किस तरह से निर्माण हो, इसके लिए पॉलिसी बनानी चाहिए. साथ ही प्रदेश में जो भी काम हो, उसके लिए केरल की तर्ज पर जनता की राय भी जाननी चाहिए.

Himachal News: हिमाचल में आपदा को रोकने के लिए केरल की तर्ज पर हो काम- गुमान सिंह

Himachal News in Hindi: हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह, अध्यक्ष कुलभूषण उपमन्यू और सचिव संदीप मिन्हास ने सोमवार को धर्मशाला में प्रेसवार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बरसात में आई आपदा को भारत सरकार राष्ट्रीय आपदा घोषित करें. साथ ही एनडीआरएफ के फंड से प्रदेश को हुए नुकसान की भरपाई की जाए. जिन लोगों के घर और खेती बरसात में उजड़ी है. इनके लिए प्रदेश सरकार को फारेस्ट कंजरवेशन एक्ट में छूट के लिए आवेदन करना चाहिए. बरसात में घर और कृषि भूमि खो चुके लोगों को वन विभाग की भूमि पर घर और कृषि के लिए भूमि अलॉट की जानी चाहिए.  

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दो माह तक किया आपदा के कारणों का अध्ययन
गुमान सिंह ने कहा कि हिमालय नीति अभियान और अन्य सामाजिक संगठनों ने हिमाचल में आई आपदा का अध्ययन किया है. अध्ययन में यह सामने आया है कि इसके कारण मानवजनित हैं, जिस कारण यह आपदा व्यापक तौर पर प्रदेश में फैली और भारी नुकसान हुआ. 

उन्होंने कहा कि आपदा के लिए फोरलेन भी एक कारण बना और हाइडल प्रोजेक्ट का प्रबंधन गलत तरीके से हुआ और डैम सेफ्टी नियमों को सही ढंग से फॉलो नहीं किया गया.  सीडब्ल्यूसी के प्रोविजन नहीं माने गए, उनकी अवहेलना हुई. जिसकी वजह से भी बहुत नुकसान हुआ.  दो माह के अध्ययन में वैज्ञानिकों व एक्टिविस्ट ने यह आकलन किया है. 

आपदा को रोकने के लिए केरल की तरह काम हो 
गुमान सिंह ने कहा कि सरकार को नई विकास योजनाओं में हिमालय क्षेत्र में किस तरह से निर्माण हो, इसके लिए पॉलिसी बनानी चाहिए. प्रदेश में कहां पर बस्ती हो, कहां पर खेती हो, इसकी पूरी स्टडी करके पॉलिसी फ्रेम वर्क किया जाना चाहिए.  इसका पूरा अध्ययन वैज्ञानिक तरीके से होना चाहिए. आपदा और इसे रोकने के लिए प्रदेश में जो भी काम हो, उसके लिए केरल की तर्ज पर जनता की राय भी जाननी चाहिए.  इसके लिए सरकार, जनता और वैज्ञानिकों के विचारों को जानकर नीति बनाई जानी चाहिए. 

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