संसद भवन बनाने में उपयोग होगी हमीरपुर के दो प्रसिद्ध स्थलों की मिट्टी, जानें क्या है मान्यता?
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संसद भवन बनाने में उपयोग होगी हमीरपुर के दो प्रसिद्ध स्थलों की मिट्टी, जानें क्या है मान्यता?

भारत में बन रहे नए संसद भवन में जिला हमीरपुर के दो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों की मिट्टी का भी उपयोग किया जाएगा. जिला हमीरपुर के ऐतिहासिक सुजानपुर दुर्ग और सुप्रसिद्ध मंदिर श्री बाबा बालक नाथ के परिसर की मिट्टी का उपयोग होगा.

संसद भवन बनाने में उपयोग होगी हमीरपुर के दो प्रसिद्ध स्थलों की मिट्टी, जानें क्या है मान्यता?

अरविंदर सिंह/हमीरपुर: भारत में बन रहे नए संसद भवन में जिला हमीरपुर के दो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों की मिट्टी का भी उपयोग किया जाएगा. जिला हमीरपुर के ऐतिहासिक सुजानपुर दुर्ग और सुप्रसिद्ध मंदिर श्री बाबा बालक नाथ के परिसर की मिट्टी का उपयोग होगा. इसके लिए भाषा व संस्कृति विभाग हमीरपुर की ओर से इन स्थलों की मिट्टी ऐतिहासिक विवरण के साथ शिमला स्थित निदेशालय में भेज दी गई है. जहां से संपूर्ण राज्य के विभिन्न ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों की मिट्टी एक साथ केंद्र को भेजी जाएगी.

सुजानपुर दुर्ग से भेजी गई आधा किलो मिट्टी  
जिला भाषा अधिकारी निक्कू राम ने बताया कि नए संसद भवन के निर्माण में संपूर्ण भारत के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों से मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है ताकि भारत के इस संसद भवन में हर क्षेत्र का योगदान रहे. यह अभियान भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण बनाए रखने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत संपूर्ण देश से मिट्टी को एकत्रित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिला हमीरपुर के ऐतिहासिक सुजानपुर दुर्ग से आधा किलो मिट्टी भेजी गई है. 

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ऐसे पड़ा मंदिर का नाम
गौरतलब है कि 1748 में कटोच वंशीय त्रिगर्त नरेश अभय चंद ( 1747-1750 ) ने सुजानपुर की पहाडियों में दुर्ग और महल बनवाए थे. प्रारंभिक काल में इस स्थान का नाम अभयगढ़ था. कुछ समय बाद इसका नाम टीहरा पड़ा. इसके बाद आगे चलकर कटोच वंश के 479वें राजा घमंड चंद (1751-1774) हुए. इस प्रतापी राजा ने त्रिगर्त राज्य की सीमाओं के विस्तार हेतु हमीरपुर के पास सुजानपुर टीहरा में एक विशाल सामरिक दृष्टि से सुरक्षित किले और सुजानपुर नगर की आधारशिला रखी. इसके बाद राजा घमंड चंद के प्रपौत्र महाराजा संसार चंद (1775-1823) ने मैदानी भाग में मंदिरों का और पहाड़ी भाग में दुर्ग का निर्माण कर इस स्थान का नाम सुजानपुर टीहरा रखा. महाराजा संसार चंद ने इस स्थान को त्रिगर्त राज्य की राजधानी बनाया.       

मंदिर में बाबा ने की घोर साधना 
साथ ही जिला के सुप्रसिद्ध मंदिर श्री बाबा बालक नाथ के परिसर से भी आधा किलो मिट्टी भेजी गई है. उत्तर भारत का प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालकनाथ की कर्मस्थली शाहतलाई है. जहां बाबा ने घोर साधना कर लोक मानस में चमत्कारों से आस्था की जोत जगा दी थी. नैसर्गिक साधना की सशक्त स्थली गुफा मंदिर बाबा बालक नाथ का मूल मंदिर है. यह मंदिर आधुनिक ढंग के निर्माण शिल्प के साथ शिखरनुमा शैली में बना हुआ है. इसका सुनहरी मुखद्वार भी नागर शैली के अनुरूप ही बना है. इस गुफा मंदिर में बाबा बालक नाथ की श्यामवर्णी संगमरमर की मूर्ति स्थापित है.

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