Bihar: कालाजार, एलिफेंटियासिस जैसे बीमारियों से क्यों जूझ रहे हैं बिहार के गांव? आंकड़े हैरान करने वाले हैं
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Bihar: कालाजार, एलिफेंटियासिस जैसे बीमारियों से क्यों जूझ रहे हैं बिहार के गांव? आंकड़े हैरान करने वाले हैं

Bihar News: एलिफेंटियासिस जिसे ‘लिम्फैटिक फाइलेरियासिस’ (LF) भी कहा जाता है, एक बहुत ही रेयर कंडीशन है जो मच्छरों से फैलती है. जैसे-जैसे गर्मियां शुरू होती हैं, वैसे-वैसे इन बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

 

Bihar: कालाजार, एलिफेंटियासिस जैसे बीमारियों से क्यों जूझ रहे हैं बिहार के गांव? आंकड़े हैरान करने वाले हैं

पटना: बिहार के अलग-अलग गांव बारिश की बदलते हालात और बढ़ते तापमान से एलिफेंटाइसिस, कालाजार (काला अजार) और दूसरे ट्रोपिकल बीमारियों से जूझ रहे हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ और सूखे का सामना करना पड़ता है जिससे मच्छर जनित बीमारियों में इजाफा हो रहा है. इसी के चलते एलिफेंटियासिस, डेंगू और काला अजार जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. कालाजार (काला अजार) या ‘विसेरल लीशमैनियासिस’ (VL) एक जानलेवा पैरासिटिक डिजीज है.

एलिफेंटियासिस जिसे ‘लिम्फैटिक फाइलेरियासिस’ (LF) भी कहा जाता है, एक बहुत ही रेयर कंडीशन है जो मच्छरों से फैलती है. जैसे-जैसे गर्मियां शुरू होती हैं, वैसे-वैसे इन बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. भूपेन्द्र त्रिपाठी ने कहा, "जलवायु परिवर्तन मूल रूप से इकोसिस्टम को बदल रहा है, जो मच्छरों और मक्खियों से फैलने वाले बीमारियों और उनके रिप्रोडक्शन को बढ़ावा दे रहा है."

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के भारत में मौजूद दफ्तर में इनफेक्सन और वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन  के प्रबंध निदेश मैनेजिंग डाइरेक्टर और डिप्टी डाइरेक्टर ने कहा, "यह ट्रेंड उनकी सीमा का फैलाव करती है और उनके तादाद डेनसिटी को बढ़ाती है. नतीजतन, पहले से असंवेदनशील इलाके अब एलएफ और वीएल जैसी मच्छर से पैदा होने वाली बीमारियों के प्रति संवेदनशील हैं, जिसके उदाहरण उत्तराखंड जैसे स्थानों में सामने आ रहे हैं." 

बिहार का शेर गांव इस बात का ताजा प्रूफ है कि वैज्ञानिकों और दूसरे एक्सपर्ट्स की आशंका बिल्कुल सही है. गांव की कुसुम बेगम को एक दुर्बल बीमारी एलएफ से निपटने के लिए न सिर्फ दवाएं बांटने का काम सौंपा गया है, बल्कि जागरूकता बढ़ाने का भी काम सौंपा गया है. कुसुम ने कहा, "क्लाइमेट चेंज लिम्फैटिक फाइलेरिया जैसी बीमारियों के खिलाफ हमारी लड़ाई को और भी चुनौतीपूर्ण बना रहा है. हमें इन खतरों को कम करने के लिए तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए." 

उन्होंने आगे कहा, "मैं ग्रामीणों से कहती हूं कि वे पूरी बांह के कपड़े पहनें, मच्छरदानी में सोएं और सबसे अहम बात यह सुनिश्चित करें कि पानी एक जगह इकट्ठा न हो." 

गोपालगंज जिले के मोगल बिरैचा गांव में एक कम्युनिटी वर्कर शांति देवी ने बीमारी की रोकथाम और क्लाइमेट चेंज को लेकर जागरूकता फैलाने का जिम्मा उठाया है. उन्होंने कहा, "हमें मच्छरों के काटने से बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी होनी चाहिए और बीमारी को फैलने से रोकने के अहमियत को समझना चाहिए, क्योंकि पता नहीं हालात कब बिगड़ जाएं."

डिपार्टमेंट ऑफ एनवायरोमेंट, फोरेस्ट एण्ड क्लाइमेट चेंज (डीईएफसीसी) द्वारा राज्य विधानसभा के सामेन हाल में एक रिपोर्ट सौंपा गया था, जिसमें बिहार राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (बीएसपीसीबी) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, "अगले दो दशकों में बिहार में ज्यादा गर्मी और कम वर्षा होने की आशंका है. इससे ज्यादा गंभीर गर्मी और मच्छर जनित बीमारियों में ‘‘तेजी से’’ वृद्धि के साथ हेल्थ को ज्यादा खतरा हो सकता है."

BSPCB के चेयरमैन देवेन्द्र कुमार शुक्ला ने कहा कि भारत में क्लाइमेट चेंज के प्रति सबसे संवेदनशील माने जाने वाले मुजफ्फरपुर और गोपालगंज समेत 50 जिलों में से चौदह बिहार में हैं. उन्होंने कहा, "केवल सामूहिक कोशिश करने से ही हम अपने कम्युनिटी के हेल्थ की रक्षा कर सकते हैं." 

 

 

 

 

 

 

 

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