सऊदी अरब में बढ़ रहे हैं सजा-ए-मौत के मामले; नए साल के एक दिन पहले 4 लोगों को फांसी
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सऊदी अरब में बढ़ रहे हैं सजा-ए-मौत के मामले; नए साल के एक दिन पहले 4 लोगों को फांसी

Saudi Arabia: सऊदी की सरकारी न्यूज एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी ने गृह मंत्रालय के बयानों का हवाला देते हुए बताया, 31 दिसंबर को जिन 4 लोगों को फांसी गई, उन्हें कत्ल का दोषी ठहराया गया था. 

सऊदी अरब में बढ़ रहे हैं सजा-ए-मौत के मामले; नए साल के एक दिन पहले 4 लोगों को फांसी

Saudi Arabia: क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के अगुआई में जहां एक तरफ सऊदी अरब अपनी रूढ़िवादी छवि से बाहर निकल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ शरिया कानून के तहत सऊदी में फांसी के मामले में लगातार इजाफा हो रहा है. हालात यह है कि इस्लामिक मुल्क में नए साल की पूर्व संध्या पर 4 लोगों को फांसी की सजा दी गई.

एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, सऊदी अरब में साल  2023 में 170 लोगों को फांसी दी गई, जो पिछले साल 2022 के मुकाबले ज्यादा है. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में सऊदी सरकार ने 147 लोगों को फांसी की सजा दी थी. वहीं मानवाधिकार वर्कर्स सऊदी अरब में फांसी की सजा के बढ़ते ट्रेंड की आलोचना करते आ रहे हैं. ऐसे में वहां फांसी के बढ़ते मामले चिंताजनक है. साल 2019 में सऊदी में सबसे ज्यादा 187 लोगों को फांसी दी गई थी. 

दिसंबर में सबसे ज्यादा लोगों को दी गई फांसी
सऊदी की सरकारी न्यूज एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी ने गृह मंत्रालय के बयानों का हवाला देते हुए बताया, 31 दिसंबर को जिन 4 लोगों को फांसी गई, उन्हें कत्ल का दोषी ठहराया गया था. इन में 2 लोगों पर उत्तर-पश्चिमी शहर ताबुक में, एक दक्षिण-पश्चिम में जाजान और एक राजधानी रियाद में दी गई.  

जानकारी के मुताबिक, 2023 में जिन लोगों को फांसी दी गई, उनमें 33 मामले दहशतगर्द से संबंधित थे. दो सैनिकों को देशद्रोह का दोषी पाए जाने के बाद फांसी दिया गया. पिछले साल दिसंबर के महीने में सबसे ज्यादा 38 लोगों को फांसी दी गई थी. 

2022 में एक ही दिन में इतने लोगों को दी गई फांसी
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि 2022 में सऊदी अरब ने चीन और ईरान को छोड़कर दूसरे किसी भी मुल्क की तुलना में ज्यादा लोगों को फांसी दिया. साल 2022 मार्च में सऊदी अरब ने एक ही दिन में सबसे ज्यादा 81 लोगों को फांसी दे दिया था. जिसकी पूरे विश्व में आलोचना हुई थी. वहीं मानवाधिकार वर्कर्स ने सऊदी के इस फैसले की खुलकर निंदा की थी. 

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