कांग्रेस MLA जिग्नेश मेवाणी को राहत; कोर्ट ने 6 साल बाद इस मामले में किया बरी
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कांग्रेस MLA जिग्नेश मेवाणी को राहत; कोर्ट ने 6 साल बाद इस मामले में किया बरी

Gujarat Metropolitan Court: गुजरात की एक मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने कांग्रेस एमएलए जिग्नेश मेवाणी को बड़ी राहत दी है. अदालत ने 2017 में ट्रेन को बाधित करने के मामले में मंगल को कांग्रेस विधायक को बरी कर दिया. 

कांग्रेस MLA जिग्नेश मेवाणी को राहत; कोर्ट ने 6 साल बाद इस मामले में किया बरी

Jignesh Mevani Relief From Court: कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. गुजरात की एक मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने कांग्रेस एमएलए जिग्नेश मेवाणी और 30 दूसरे लोगों को रियासती सरकार की पॉलिसियों की मुखालेफत में एक ट्रेन को बाधित करने के 2017 के एक मामले में मंगलवार को बरी कर दिया. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पी एन गोस्वामी की अदालत ने दलित लीडर मेवाणी और अन्य लोगों को बरी कर दिया. जिग्नेश मेवाणी और अन्य पर अहमदाबाद रेलवे पुलिस ने 2017 में राज्य सरकार की नीतियों की मुखालेफत में उनके द्वारा 'रेल रोको' प्रदर्शन के तहत कालूपुर रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन को तकरीबन 20 मिनट तक रोकने के लिए मामला दर्ज किया था.

रेल रोको प्रदर्शन मामले में किया बरी
इस मामले में मेवाणी के साथ 30 अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी की गैरकानूनी सभा, दंगा करने, लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाने और मुजरेमाना साजिश से संबंधित दफाओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया था. इन 31 मुल्जिमीन में 13 ख्वातीन शामिल थीं. उन पर रेलवे अधिनियम की दफा 153 के तहत भी मामला दर्ज किया गया था, इस लापरवाही भरे रवैये से रेल मुसाफिरों की सुरक्षा को खतरा हो सकता था. बता दें कि, मेवाणी वडगाम असेंबली इलाके से कांग्रेस एमएलए हैं और गैर सरकारी संस्था (NGO) राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के कंवीनर हैं.

कर्मचारियों के समर्थन में प्रदर्शन
एक सेशन अदालत ने 2021 में उन्हें मामले में आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया था. बीते साल नवंबर में, मेवाणी और छह अन्य को 2016 में उनके खिलाफ अहमदाबाद में इन्कम टैक्स चौराहे पर गैरकानूनी सभा, दंगा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के तहत दर्ज एक अन्य मामले में बरी कर दिया गया था. पुलिस की इजाजत के बगैर एहतेजाज करने के इल्जाम में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया गया था और उन पर पुलिस गाड़ी में तोड़फोड़ करने, गलत रवैया अपनाने और दंगा करने का इल्जाम लगाया गया था. वो अहमदाबाद नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की हिमायत करते हुए मुजाहिरा कर रहे थे.

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