दिल्ली शराब घोटाले में कार्रवाई: DE ने 35 ठिकानों पर की छापेमारी, पहले भी पड़ी 103 जगहों पर रेड
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दिल्ली शराब घोटाले में कार्रवाई: DE ने 35 ठिकानों पर की छापेमारी, पहले भी पड़ी 103 जगहों पर रेड

ED Raid in Delhi: प्रवर्तन निदेशाल (ED) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में एक बार फिर छापेमारी शुरू की है. इससे पहले ED ने इसी मामले में 103 ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है.

दिल्ली शराब घोटाले में कार्रवाई: DE ने 35 ठिकानों पर की छापेमारी, पहले भी पड़ी 103 जगहों पर रेड

ED Raid in Delhi: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन के एक कथित मामले में शुकव्रार को एक बार फिर छापेमारी की. दिल्ली सरकार इस नीति को अब वापस ले चुकी है. सूत्रों ने बताया कि ED के अधिकारी दिल्ली, पंजाब और हैदराबाद में 35 स्थानों पर छापेमारी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कुछ शराब वितरकों, कंपनियों और उनसे जुड़ी संस्थाओं की तलाशी ली जा रही है. ईडी इस मामले में अब तक 103 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है.

निलंबित हुए 11 आबकारी अधिकारी

मामले में पिछले महीने शराब व्यवसायी और शराब बनाने वाली कंपनी ‘इंडोस्पिरिट’ के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया गया था. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ED ने धन शोधन का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. CBI की प्राथमिकी में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम बतौर आरोपी दर्ज है. दिल्ली के उपराज्यपालय वी के सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की CBI जांच की सिफारिश की थी. उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी किया था.

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उद्योगपति विजय नायर हुए गिरफ्तार

ED ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक दुर्गेश पाठक और तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन से भी पूछताछ की है. CBI ने भी कई लोगों से पूछताछ की है और मामले में उद्योगपति विजय नायर को गिरफ्तार किया है. दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई में दी गई रिपोर्ट के आधार पर CBI जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (TOBR)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियमावली-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी.

लोगों को दिया गया अनुचित लाभ

अधिकारियों के मुताबिक, मुख्य सचिव की रिपोर्ट में पाया गया था कि निविदा जारी करने के बाद "शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित लाभ" पहुंचाने के लिए "जानबूझकर और घोर प्रक्रियात्मक चूक" की गई. इसमें आरोप लगाया गया था कि राजकोष को नुकसान पहुंचाकर निविदाएं जारी की गईं और इसके बाद शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाया गया.

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