Jharkhand: झारखंड में टीचर ने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ पर की 36 साल नौकरी; खानी होगी जेल की हवा, लगा इतना जुर्माना
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Jharkhand: झारखंड में टीचर ने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ पर की 36 साल नौकरी; खानी होगी जेल की हवा, लगा इतना जुर्माना

Fine On Fake Teacher: झारखंड के दुमका में एक टीचर ने फर्जी दस्तावेजों की बुनियाद पर 36 साल तक नौकरी की. टीचर के रिटायरमेंट के बाद इस मामले से पर्दा उठा. धोखाधड़ी मामले में टीचर को सजा सुनाने के अलावा जुर्माना भी लगाया गया है.

 

Jharkhand: झारखंड में टीचर ने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ पर की 36 साल नौकरी; खानी होगी जेल की हवा, लगा इतना जुर्माना

Teacher Job On Fake Certificate: क्या आपने कभी ऐसी खबर सुनी है, जिसमें किसी टीचर ने एक-दो साल नहीं बल्कि पूरे 36 साल तक फर्जी सर्टिफिकेट की बुनियाद पर नौकरी की हो. जी हां, ये खबर सुनकर आपको जरूर हैरानी होगी. ऐसा मामला झारखंड के दुमका से सामने आया है. दरअसल सरैयाहाट प्रखंड में एक टीचर फर्जी सर्टिफिकेट पर 36 साल तक नौकरी करता रहा. एजुकेशन डिपार्टमेंट को इस फजीर्वाड़े का पता उस वक्त चला जब टीचर रिटायर हो गया. अब धोखाधड़ी मामले में टीचर को सजा सुनाई गई है.

फर्जी सर्टिफिकेट पर 36 साल की नौकरी
जानकारी के मुताबिक, फर्जी सर्टिफिकेट पर 36 साल तक जॉब करने वाले टीचर शुकदेव मंडल को दुमका के प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी ने उसको 6 साल की जेल देने के साथ-साथ 50 लाख का जुर्माना लगाया है.12 साल तक चले मुकदमे में अदालत ने उसे कुसूरवार पाकर सजा सुनाई है. जुर्माने की रकम सरकारी फंड में नहीं जमा करने पर आरोपी को छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. साल 2011 में उस वक्त के जिला शिक्षा अधीक्षक को जांच के मामले में पता चला कि सरैयाहाट प्रखंड के कानीजोर प्राइमरी स्कूल के रिटायर्ड टीचर शुकदेव मंडल ने फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी हासिल की है. यही नहीं रिटायर होने के बाद सरकारी प्रावधान के अनुसार उन्होंने रिटायरमेंट रकम भी ले ली.

रिटायरमेंट के बाद खुला राज
जांच में पता चला कि टीचर ने साल 1968 का मैट्रिक का जो सर्टिफिकेट दस्तावेजों के साथ जमा किया है, रिकॉड में उनके नाम की जगह पर दूसरे का नाम है. इससे पता चलता है कि शुकदेव मंडल ने फर्जी कागजात के बुनियाद पर मुलाजेमत हासिल की. इसके बाद उस समय के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अमरनाथ साहू को मामले में रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया गया. इस केस में टीचर को नोटिस देकर कहा गया कि रिटायरमेंट के बाद उन्होंने जो सरकारी रकम मिली है, उसे एक माह के अंदर देवघर कोषागार में जमा कर दें. वहीं,इस पूरे मामले में टीचर की तरफ से किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया है.

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