Ram Navami Riots in Bengal: पूर्व नियोजित थे दंगे; जांच समिति का खुलासा
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Ram Navami Riots in Bengal: पूर्व नियोजित थे दंगे; जांच समिति का खुलासा

Ram Navami riots in Bengal pre planned claims  Fact finding Committee report: पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में गठित जांज दल ने इस सांप्रदायिक दगों को पूर्व नियोजित बताया है और पूरे मामले की जांच एनआईए से कराने की मांग की है. 

अलामती तस्वीर

कोलकाताः पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश नरसिम्हा रेड्डी की रहनुमाई में पश्चिम बंगाल में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर छह सदस्यीय जांच समिति ने सोमवार को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रामनवमी के जुलूस के दौरान दंगे पूर्व नियोजित और सुनियोजित थे. भीड़ को दंगे के लिए उकसाया गया था. जांच पैनल ने हिंसा की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने की मांग की है. 

हावड़ा और हुगली जिलों में रामनवमी के जुलूसों के दौरान राज्य में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन का आकलन करने के लिए जांच दल ने पश्चिम बंगाल के तीन दिवसीय दौरा किया था. समिति में पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी, पूर्व आईपीएस राज पाल सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य एडवोकेट चारु वली खन्ना, पूर्व संयुक्त रजिस्ट्रार (कानून) भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वकील ओपी व्यास और एक वरिष्ठ पत्रकार को शामिल किया गया था. 

समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 30 मार्च को राम नवमी के मौके पर पर भड़के दंगे और उसके बाद भी जारी रहने वाले हिंसा के छिटपुट वारदातें पूरी तरह पूर्व नियोजित, सुनियोजित और भड़काए गए थे. दंगों के लिए भड़काऊ भाषण ने माहौल बनाया था. समिति को कई ऐसे वीडियो मिले हैं, जो इस बात की तस्दीक करते हैं कि शांतिपूर्ण रामनवमी के जुलूस को निशाना बनाया गया था. दंगाइयों को जुलूस को रोकने और निशाना बनाने के लिए कहा गया था. 

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रामनवमी पर निकलने वाले जुलूसों से पहले आह्वान किया था कि 'मुस्लिम क्षेत्रों’ से गुजरने वाले किसी भी जुलूस पर गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी. समिति ने कहा कि ऐसा मालूम होता है कि शांतिपूर्ण रामनवमी के जुलूस में हिस्सा लेने वाले लोगों के खिलाफ भीड़ ने हिंसा की थी. इसमें राज्य पुलिस दंगाइयों को नियंत्रित करने की कार्रवाई में पूरी तरह से अफसल रही. समिति ने पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए दंगों के पीछे के दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके मामले में उचित पुलिस कार्रवाई की मांग की है. 

समिति ने यह भी मांग की है कि दंगों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी से कराई जाए और यह सुनिश्चित हो कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र हो. सताए गए और डरे हुए पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि उनका जीवन सामान्य स्थिति में लौट सके. निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठे मामले वापस लिया जाए और राज्य पुलिस में विश्वास खो चुके पीड़ितों के लिए विश्वास- बहाली के उपाय के रूप में केंद्रीय बलों की तैनाती को बढ़ाया जाए. 

गौरतलब है कि रामनवमी के जुलूस के दौरान पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हिंसक झड़पें हुईं थी. रामनवमी के जश्न के बीच हावड़ा में दो समूहों के बीच हुई झड़प में कई वाहनों में आग लगा दी गई थी. जुलूस के दौरान दंगाइयों ने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों में तोड़फोड़ की और वाहनों में आग लगा दी थी. हावड़ा में हुई हिंसा के बाद, पश्चिम बंगाल सरकार ने 31 मार्च को आपराधिक जांच विभाग को जांच सौंपी. पुलिस महानिरीक्षक, सीआईडी सुनील चौधरी के नेतृत्व में एक विशेष टीम ने जांच शुरू की थी. पिछले हफ्ते हुगली में भाजपा की शोभा यात्रा (जुलूस) के दौरान भी झड़पें हुईं थीं. राज्य सरकार ने उन इलाकों में निषेधाज्ञा जारी कर इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया था. 

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