Kashmir: मशरूम की खेती कर तरक़्क़ी की नई इबारत लिख रही हैं कश्मीर की महिलाएं
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1463290

Kashmir: मशरूम की खेती कर तरक़्क़ी की नई इबारत लिख रही हैं कश्मीर की महिलाएं

Vertical farming Of Mushroom: भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा से सटे उत्तरी कश्मीर के बारामूला में रहने वाली महिलाएं कामयाबी की नई कहानी लिख रही हैं. महिलाओं का एक ग्रुप अपने घरों में मशरूम की खेती करके नई मिसाल पेश कर रहा है.

Kashmir: मशरूम की खेती कर तरक़्क़ी की नई इबारत लिख रही हैं कश्मीर की महिलाएं

Vertical farming Of Mushroom: भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा से सटे उत्तरी कश्मीर के बारामूला में रहने वाली महिलाएं कामयाबी की नई कहानी लिख रही हैं.  महिलाओं का एक ग्रुप अपने घरों में मशरूम की खेती करके और इसकी बिक्री से होने वाली आमदनी के ज़रिए एजुकेशन और दूसरी ज़रूरतों को पूरी करके मिसाल पेश कर रही हैं. झेलम नदी के किनारे स्थित ज़िले के कृषि कार्यालय ने लगभग दो साल पहले महिला स्वयं सहायता समूहों (Self Help group) के साथ एक वर्टिकल फार्मिंग (खड़ी खेती) का काम शुरू किया था और अब उनकी मेहनत रंग ला रही हैं.

'महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है मक़सद'
ज़िले के चीफ़ एग्रिकल्चर ऑफ़िसर यदविंदर सिंह ने पीटीआई को बताया कि" मशरूम की खेती के लिए हमारे पास इस ज़िले में 88 ग्रुप हैं, जिनमें से अब तक 22 महिलाएं जुड़ चुकी हैं". उन्होंने बताया कि "इसका मक़सद महिलाओं को उनके घर के भीतर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, जहां वे अपना सबसे ज़्यादा वक़्त गुज़ारती हैं". यदविंदर सिंह ने बताया कि "ज़िला इंतेज़ामिया प्रत्येक महिला उद्यमी को 15,000 रुपये की प्रारंभिक सहायता कोष और 100 बैग मशरूम के बीज प्रदान करता है, जिसे 'स्पॉन' के तौर पर जाना जाता है.

fallback

'कृषि कार्यालय से मिली सहायता'
शहर के फ़तेहपुरा इलाक़े की रहने वाली 12वीं क्लास की छात्रा कुलसुम मजीद उन महिला उद्यमियों में शामिल हैं, जो इस पहल पर काम कर रही हैं. कुलकुम ने बताया कि "मेरी और मेरे भाई-बहनों की तालीम पर बहुत पैसा ख़र्च होता है. जब हमें इस पहल के बारे में पता चला, तो मैंने और मेरी मां ने घर पर मशरूम उगाने और लोकल मार्किट में उपज बेचने के बारे में सोचा".  उन्होंने कहा कि हमने कृषि कार्यालय से राब्ता किया और उन्होंने हमें खेती शुरू करने के लिए 100 बैग बीज दिए.

चीफ़ एग्रिकल्चर ऑफ़िसर ने बताया कि लोकल मार्किट  और कश्मीर के दूसरे हिस्सों में मशरूम की पैदावार तक़रीबन 180-200 रुपये फी किलोग्राम की क़ीमत पर बेची जाती है. उन्होंने बताया कि "एक उद्यमी एक फ़सल से तक़रीबन 40,000 रुपये कमाता है, जिसमें तक़रीबन दो महीने लगते हैं और लागत कम करने के बाद नेट प्रॉफ़िट तक़रीबन 20,000-25,000 रुपये होता है.

Watch Live TV

Trending news