Jharkhand: विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के तीन गिरफ्तार विधायकों के अयोग्यता मामले में टाली सुनवाई
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Jharkhand: विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के तीन गिरफ्तार विधायकों के अयोग्यता मामले में टाली सुनवाई

झारखंड के विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने जमानत की शर्तों के कारण कोलकाता में फंसे कांग्रेस के तीन विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराने के मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को पांच सितंबर तक के लिए टाल दी.

 (फाइल फोटो)

Ranchi: झारखंड के विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने जमानत की शर्तों के कारण कोलकाता में फंसे कांग्रेस के तीन विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराने के मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को पांच सितंबर तक के लिए टाल दी. कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र भेजकर इरफान अंसारी, नमन बिक्सल कोंगारी और राजेश कच्छप को विधायकों के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की थी. इन्हें 30 जुलाई को पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार किया गया था और लगभग 49 लाख रुपये नकदी बरामद की गई थी. ये फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. 

JMM ने किया था सरकार गिराने का दावा

राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली सरकार में साझीदार कांग्रेस ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों को 10-10 करोड़ रुपये और मंत्री पद की पेशकश करके हेमंत सोरेन नीत सरकार को गिराने की कोशिश कर रही थी. विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों विधायकों से जवाब मांगा है. अध्यक्ष को एक ई-मेल में तीनों विधायकों ने अनुरोध किया कि 'वर्चुअल मोड' में कार्यवाही में शामिल होने के लिए उनके पास लैपटॉप या स्मार्टफोन तक पहुंच नहीं है क्योंकि वे अपनी जमानत शर्तों के कारण कोलकाता में फंसे हैं. 

शर्तों को हटाए जाने तक कार्यवाही स्थगित करने का किया अनुरोध

उन्होंने 10 नवंबर तक कोलकाता में रहने के लिए अंतरिम जमानत की शर्तों को हटाए जाने तक कार्यवाही स्थगित करने का अनुरोध किया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 17 अगस्त को विधायकों को तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत देते हुए उनसे इस अवधि के दौरान कोलकाता नगर निगम की सीमा के भीतर रहने का निर्देश दिया. विधायकों की अंतरिम जमानत 17 नवंबर तक जारी रहेगी और मामले पर 10 नवंबर को फिर से उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी.

बृहस्पतिवार को विधानसभा अध्यक्ष के ट्रिब्यूनल में जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के वकील उज्जवल आनंद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार ऐसी सुनवाई तीन महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए. 

आनंद ने तीनों पर देरी करने के हथकंडे का सहारा लेने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि यह विश्वास करना मुश्किल है कि वे ऑनलाइन कार्यवाही में शामिल होने के लिए स्मार्टफोन का खर्च नहीं उठा सकते. तीन विधायकों को 30 जुलाई को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के पंचला में राष्ट्रीय राजमार्ग-16 पर उनके वाहन को रोके जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था और कार से लगभग 49 लाख रुपये नकदी बरामद की गई थी. 

विधायकों ने दावा किया कि यह रकम झारखंड में एक आदिवासी त्योहार को लेकर साड़ी खरीदने के लिए थी. मामले की जांच बाद में पश्चिम बंगाल के पुलिस अधिकारियों ने राज्य सीआईडी को सौंप दी. झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने मंगलवार को भाजपा विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दल-बदल विरोधी आरोपों से संबंधित एक अन्य मामले में सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रख लिया.

(इनपुट: भाषा)

 

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