Sita Navami 2024: सीता-राम की आज ऐसे करें पूजा, 16 महादान के बराबर मिलेगा फल

Sita Navami 2024: आज सीता नवमी है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता इसी दिन धरती से प्रकट हुई थीं. इस दिन को सीता जयंती या सीता नवमी के रूप में मनाते हैं. इसको जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है.

Written by - Dr. Anish Vyas | Last Updated : May 16, 2024, 07:04 AM IST
  • स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त है सीता नवमी
  • पुष्य नक्षत्र में हुआ था मां सीता का जन्म
Sita Navami 2024: सीता-राम की आज ऐसे करें पूजा, 16 महादान के बराबर मिलेगा फल

नई दिल्लीः Sita Navami 2024: आज सीता नवमी है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता इसी दिन धरती से प्रकट हुई थीं. इस दिन को सीता जयंती या सीता नवमी के रूप में मनाते हैं. इसको जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है.

स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त है सीता नवमी

आज का दिन स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त है. सीता नवमी पर विशेष रूप से माता सीता की उपासना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. साथ ही जीवन में आ रहीं सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. मान्यता है इस दिन मां सीता की विधि विधान से पूजा करने पर आर्थिक तंगी दूर होती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह त्योहार रामनवमी के लगभग एक महीने बाद मनाया जाता है. इस दुर्लभ अवसर पर देवी मां सीता के साथ भगवान राम की भी पूजा करना श्रेष्ठ है. 

पुष्य नक्षत्र में हुआ था मां सीता का जन्म

मान्यता के अनुसार, मां सीता का जन्म मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था. इस बार सीता नवमी पर दो शुभ योग बन रहे हैं. पहला ध्रुव योग सुबह 8:23 बजे तक है. वहीं रवि योग शाम 6:14 बजे से अगले दिन सुबह 5:29 बजे तक है. सीता नवमी पर मघा नक्षत्र सुबह से लेकर शाम 6:14 बजे तक तक है. इसके बाद से पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र है.

सीता नवमी की तिथि

तिथिः नवमी तिथि सुबह 6:22 बजे से कल सुबह 8:48 बजे तक
मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 11.04 बजे से दोपहर 01:43 बजे तक

सीता नवमी का महत्व

मान्यता है कि इस दिन जो राम-सीता का विधि विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल और समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है. वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए सीता नवमी का श्रेष्ठ माना गया है. सीता नवमी के दिन माता सीता को शृंगार की सभी सामग्री अर्पित की जाती हैं. साथ ही इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. 

सीता नवमी पूजा विधि

सीता नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें. अब चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर मां सीता और भगवान श्रीराम की प्रतिमा विराजमान करें. मां सीता को सोलह शृंगार का सामान अर्पित करें. फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर, धूप, दीप आदि भी चढाएं. देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए. इसके पश्चात मां सीता को फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं. अंत में जीवन में सुख और शांति के लिए प्रार्थना करें.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)

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