परशुराम ने 21 बार पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश क्यों किया

भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठवां अवतार माना गया है

वे भगवान शिव के परम भक्त थे और हमेशा तप में लीन रहते थेउनकी भक्ति को देखकर स्वयं महादेव ने उन्हें अमरता का वरदान प्रदान किया था

परशुराम का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है

भगवान दत्तात्रेय को अपनी तपस्या द्वारा प्रसन्न करके उनसे 10000 हाथों का आशीर्वाद प्राप्त किया था

अपने क्रोध के चलते उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था

सहस्त्रार्जुन के वध के बाद परशुराम अपने पिता ऋषि जमदग्नि के आदेशानुसार प्रायश्चित करने के लिए तीर्थ यात्रा पर चले गए

मौका पाकर सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने तपस्यारत ऋषि जमदग्नि का उनके ही आश्रम में सिर काटकर उनका वध कर दिया

जब परशुराम आश्रम पहुंचे तो उन्होंने पिता का कटा सिर और उनके शरीर पर 21 घाव देखे यह देखकर परशुराम क्रोधित हो उठे

परशुराम ने शपथ ली कि वह हैहय वंश का ही नहीं बल्कि समस्त क्षत्रिय वंशों का 21 बार संहार कर भूमि को क्षत्रिय विहिन कर देंगे

परशुराम ने क्षत्रिय वंशों का 21 बार संहार कर भूमि को क्षत्रिय विहिन किया

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