इस्लाम ने तालीम पर बुहत जोर दिया. इस्लाम ने औरतों को पढ़ाने लिखाने के बारे में बताया है. इस्लाम कहता है कि अगर औरत पढ़ी लिखी होगी तो आपकी नस्लें पढ़ी होंगी.
इस्लाम में बताया गया है कि जिस शख्स ने तीन बेटियों या तीन बहनों की परवरिश की और उनकी शादी की, तो अल्लाह ताला ने ऐसे शख्स के लिए अपने ऊपर जन्नत वाजिब कर ली.
इस्लाम के मुताबिक अगर किसी शख्स की दो बेटियां और दो बहनें हैं और उसने दोनों बेटियों और बहनों की परवरिश की, तालीम दिलाई और उनकी शादी की, तो उनको भी यही बदला दिया जाएगा.
एक हदीस में है कि "जिस शख्स के यहां लड़की पैदा हो और वह खुदा की दी हुई नेमतों की इस पर बारिश करे, तालीम व तरबियत और हुस्ने अदब से बहरावर करे, तो मैं खुद ऐसे सख्स के लिए जहन्नम की आड़ बन जाऊंगा.
परिवार को चलाने के लिए इस्लाम ने मर्द और औरतों को अलग-अलग हक दिए और उन्हें इस्लामी माशरे के लिए जरूरी करार दिया.
इसलिए इस्लाम में बताया गया है कि हक के लिहाज से इस्लाम में मर्द और औरत बराबर हैं.
कुरान में आता है कि "औरतों के लिए भी मारूफ तरीके पर वही हुकूक हैं जैसे मर्दों के हुकूक उन पर हैं."
कुरान में अल्लाह ताला कहते हैं कि "वह तुम्हारे लिए लिबास हैं और तुम उनके लिए लिबास हो."