चांद अपयश भी देता है! ऐसे अर्ध्य देकर मनाते हैं कलंकमुक्ति का पर्व चौठचंद्र
Gangesh Thakur
Sep 17, 2023
Chauthchandra
महाराष्ट्र में जिस भादो की चतुर्थी तिथि यानी गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की स्थापना की जाती है उसी दिन बिहार के मिथिलांचल में चौरचन पर्व मनाया जाता है.
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बिहार में लोकआस्था का पर्व छठ तो सभी जानते हैं जिसमें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. वैसे ही यहां चौरचन (चौठचंद्र) के मौके पर कटे हुए चांद को अर्घ्य दिया जाता है.
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पूरे देश में भादो महीने के चौठ के चांद को देखने से लोग परहेज करते हैं तो उस समय बिहार में मिथिलांचल के लोग इस चांद को जल अर्पित कर पूजा करते हैं.
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18 सितंबर यानि सोमवार को इस बार चौरचन (चौठचंद्र) का त्योहार मनाया जाएगा. लोग इसे छठ पर्व की शुरुआत के रूप में देखते हैं.
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भादो महीने के चौठ के दिन जब चांद निकलने में देरी करते हैं तो व्रती महिलाएं अपने हाथों में भोग लेकर चांद से मिन्नत करती हैं कि वह जल्दी नजर आएं.
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दरअसल इस चौरचन (चौठचंद्र) पर्व को लेकर एक पौराणिक कथा भी है जिसकी वजह से यह त्योहार मनाया जाता है.
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कथा के अनुसार गणेश जी एक बार गिर गए और उन्हें देखकर चंद्रमा हंस पड़े, इस पर नाराज गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया.
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गणेश जी ने चंद्रमा को श्नाप देते हुए कहा कि भादो महीने के चौठ के दिन जो भी तुम्हें देखेगा, उसे चोरी और झूठ का कलंक लगेगा.
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कहते हैं भगवान कृष्ण भी इस श्राप से नहीं बच पाए थे. इस चांद को देखने की वजह से उन्हें भी दिव्य मणि चुराने का आरोप झेलना पड़ा था.