ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के युग में भी पलाश के फूलों के रंग से होली खेली जाती थी.
पलाश के फूल से कई विधियों से रंग बनाया जाता है.
फूल से रंग बनाने के लिए इसे छाया में सुखाकर उसे दो से तीन लीटर पानी में डालकर दो से तीन दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है.
ऐसा करने से पानी का रंग लाल या सिंदूरी हो जाता है. आप इस रंगीन पानी का इस्तेमाल सुरक्षित होली खेलने के लिए कर सकते हैं.
दूसरे तरीके की अगर बात करें तो पलाश के फूल को पेड़ से तोड़कर मिट्टी की हांडी में दो से तीन दिनों तक रख दें.
इसके बाद जो रंग निकलकर आता है, वो काफी गहरा होता है.
वहीं आप चाहे तो फूल को पानी में उबाल कर भी रंग निकाल सकते हैं. इस दौरान रंग में चुना मिला देने से पलाश के फूल से बना रंग कपड़ों से नहीं छूटता है.