शादी के लिए कितने गुण मिलना जरूरी? जानें 10 जरूरी बातें
PUSHPENDER KUMAR
Nov 21, 2024
विवाह और कुंडली मिलान का महत्व
हिंदू धर्म में विवाह से पहले लड़के और लड़की की कुंडली का मिलान किया जाता है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनका वैवाहिक जीवन सुखमय हो.
कुल 36 गुणों का वर्गीकरण
कुंडली में गुण मिलान के 36 मानदंड होते हैं, जो इस प्रकार हैं.
नाड़ी: 8 गुण, भकूट: 7 गुण, गण मैत्री: 6 गुण, ग्रह मैत्री: 5 गुण, योनि मैत्री: 4 गुण, ताराबल: 3 गुण, वश्य: 2 गुण, वर्ण: 1 गुण आदि
न्यूनतम 18 गुण मिलना जरूरी
विवाह के लिए कुंडली में कम-से-कम 18 गुणों का मिलना आवश्यक माना जाता है. इससे कम गुण मिलने पर शादी को शुभ नहीं माना जाता है.
18-25 गुण मिलने का असर
यदि लड़का-लड़की के 18 से 25 गुण मिलते हैं, तो उनका वैवाहिक जीवन सामान्य और सुखद माना जाता है.
25-32 गुण मिलना शुभ
25 से 32 गुण मिलने पर शादीशुदा जीवन को खुशहाल और प्रेमपूर्ण माना जाता है.
32-36 गुण मिलना दुर्लभ
32 से 36 गुण मिलना काफी शुभ माना जाता है, लेकिन ऐसा होना दुर्लभ है.
36 गुण मिलना कैसा होता है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम और माता सीता के 36 गुण मिले थे. हालांकि, उनके जीवन में कई कठिनाइयां आईं, जिससे यह संकेत मिलता है कि इतने गुण मिलना हमेशा आदर्श नहीं होता.
नाड़ी दोष का महत्व
गुण मिलान के अलावा नाड़ी दोष का विचार भी वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है.
विवाह में गुण मिलान का उद्देश्य
गुण मिलान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दंपति का दांपत्य जीवन सुखमय और संघर्षरहित हो.
कुंडली मिलान के साथ अन्य कारक भी जरूरी
गुण मिलान के अलावा आपसी समझ, प्रेम और विश्वास भी शादीशुदा जीवन की सफलता में अहम भूमिका निभाते हैं.