Indian Railway: क्यों ट्रेन की पटरियों पर कभी नहीं लगती जंग? जानें अमेजिंग साइंस
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Sep 20, 2024
चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क
भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. लाखों लोग प्रतिदिन रेल से यात्रा करते हैं.
आसान माध्यम
आम लोगों के लिए ट्रेन से सफर करना न सिर्फ किफायती होता है, बल्कि ये उनके लिए सफर करना एक आसान माध्यम भी है.
ट्रेन से यात्रा
लंबी सी लंबी दूरी की यात्रा को तय करने के लिए आम लोग ट्रेन से ही सफर करते हैं.
भारतीय रेलवे
यहीं वजह के है कि भारतीय रेलवे आए दिन ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों के सुविधा और सुरक्षा के लिए कदम उठाती रहती है.
ट्रेन प्रकार
हमारे देश में कई प्रकार की ट्रेनें चलती है. ट्रेन देश को एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़ना का काम करती है.
ट्रेन की सुविधा
देश में शायद ही कोई ऐसा राज्य है जहां रेल की सुविधा मुहैया न होती हो. हर राज्य में रेल की पटरियां बीछी है.
ट्रेन की पटरियां
जो लोग रेल से सफर करते हैं, उनके मन में कभी न कभी ये ख्याल तो जरूर से आया होगा कि आखिर ट्रेन की पटरियों पर जंग क्यों नहीं लगता है.
रेल की पटरियां
क्यों खुले में हमेशा होने के बावजूद भी रेल की पटरियों पर जंग नहीं लगता? चलिए हम आपको इसके बारे में बता देते हैं.
रेल की पटरियों में जंग
आपने देखा होगा की अगर आप आयरन को खुले जगह में रखते हैं, तो हवा में मौजूद नमी के वजह से उसमें जंग लग जाता है, लेकिन रेल की पटरियां हमेशा खुले आसमान के नीचे रहती है. फिर भी उसमें जंग नहीं लगता.
मैंगनीज स्टील
ऐसा इसलिए क्योंकि रेल की पटरियों को बनाने के लिए एक विशेष तरह के धातु का इस्तेमाल किया जाता है. जो है मैंगनीज स्टील.
मैंगनीज और कार्बन
रेल की पटरियों को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए मैंगनीज स्टील में 12 फीसदी मैंगनीज और 0.8 फीसदी कार्बन होता है.
ऑक्सीडेशन
रेल की पटरियों को बनाने के लिए इस धातु के मिश्रण की वजह से पटरियों पर ऑक्सीडेशन का असर नहीं होता है.
आयरन ऑक्साइड
जिस वजह से धूप, बारिश, हवा, नमी के बीच होने के बावजूद भी लोहे की पटरियों पर आयरन ऑक्साइड नहीं बनता, उसमें जंग नहीं लगता है.
नमी
अगर रेल की पटरियां सिर्फ लोहे से बनी होती, तो बारिश और वातावरण में नमी के वजह से इस पर जंग लग जाता.
कमजोर पटरियां
अगर रेल पटरियों को लोहे से बनाया जाता, तो जंग लगने के बाद पटरियां कमजोर हो जाती.
रेल दुर्घटना
रेल पटरियों को समय-समय पर जंग लगने के कारण से बदलना पड़ता. इसके साथ ही कमजोर पटरियों की वजह से रेल दुर्घटना का खतरा भी बढ़ जाता.