नालंदा विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था, जिसमें स्थापना 450 ई. में हुई थी.

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Aug 08, 2023

विश्वविद्यालय की स्थापना

इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में कुमारगुप्त प्रथम ने किया था.

मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी

1193 में कुतुबुद्दीन ऐबक का सेनापति मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगा दी थी.

3 महीने तक धधकता रहा पुस्तकालय

कहा जाता है कि विश्वविद्यालय में इतनी पुस्तकें थी की पूरे तीन महीने तक यहां के पुस्तकालय में आग धधकती रही.

धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षुओं की हत्या

खिलजी ने आक्रमण के दौरान अनेक धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षुओं मार डाला था. साथ ही पूरी बिल्डिंग को तहस नहस कर दिया था.

विश्वविद्यालय के किया आग के हवाले

विश्वविद्यालय को आग के हवाले करने के पीछे का कारण खिलजी का कारण जान आप हैरान हो जाएंगे.

बीमार पड़ खिलजी

दरअसल, एक बार बख्तियार खिलजी बहुत ज्यादा बीमार पड़ गया था और उस पर कोई भी दवा और दुआ असर नहीं कर रही थी.

आचार्य राहुल श्रीभद्र जी

ऐसे में खिलजी के हकीमों ने नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग के प्रमुख आचार्य राहुल श्रीभद्र जी को इलाज के लिए बुलवाया.

दवा के सेवन से इनकार

इलाज से पहले ही खिलजी ने शर्त रख दी कि वो किसी हिंदुस्तानी दवा का सेवन नहीं करेगा और वो ठीक नहीं हुआ तो आचार्य राहुल की हत्या कर देगा.

कुरान

अगले दिन आचार्य ने खिलजी को एक कुरान लाकर दी और कहा इसे रोज पढ़िए आप ठीक हो जाएंगे.

क्रूर शासक

हालांकि, बीमारी से उठने के बाद खिलजी को खुशी नहीं हुई बल्कि वह गुस्से में था कि इन भारतीय वैद्यों के पास उनके हकीमों से ज्यादा ज्ञान कैसे है?

विश्वविद्यालय में लगाई आग

बौद्ध धर्म और आयुर्वेद का एहसान मानने के बजाए उसने नालंदा विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया.

AI तस्वीरें

अगर खिलजी नालंदा विश्वविद्यालय में आग नहीं लगाया होता, तो वो 2023 में कुछ ऐसा दिखता.

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