निर्वस्त्र स्नान

सनातन धर्म शास्त्रों में हर काम को करने के कुछ नियम बताए गए हैं, ऐसे में स्नान करने के भी नियम इसमें बताए गए हैं.

निर्वस्त्र स्नान

हम अक्सर यह सुनते हैं कि स्नान बिना कपड़ों के यानी निर्वस्त्र नहीं करना चाहिए, तो जानिए इसके पीछे की वजह क्या है.

निर्वस्त्र स्नान

पौराणिक कथाओं में कृष्ण और गोपियों का जिक्र है. जब भगवान ने गोपियों के स्नान करते हुए वस्त्र छुपा लिए थे.

निर्वस्त्र स्नान

कृष्ण ने तब गोपियों को समझाया था कि बिना वस्त्र धारण किए स्नान नहीं करना चाहिए. इससे जल के देवता वरुण का अपमान होता है.

निर्वस्त्र स्नान

शास्त्र की मानें तो बंद कमरे में भी ईश्वर की नजर तो आप पर है ऐसे में निर्वस्त्र होकर नहाने से जल के देवता वरुण का अपमान तो होता ही है.

निर्वस्त्र स्नान

शास्त्रों की मानें तो निर्वस्त्र स्नान करने से आपके शरीर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है और आपकी मानसिकता भी नकारात्मक हो सकती है.

निर्वस्त्र स्नान

गरुड़ पुराण की मानें तो आपके स्नान करने के समय आपके पितर यानी मृत पूर्वज आपके आस-पास मौजूद होते हैं.

निर्वस्त्र स्नान

ऐसे में निर्वस्त्र स्नान करने से आपको पितृ दोष लग सकता है क्योंकि इससे आपके पितरों को तृप्ति नहीं मिलती है.

निर्वस्त्र स्नान

पितर स्नान के समय आपके वस्त्रों से गिरने वाले जल को ग्रहण करते हैं जिनसे उनकी तृप्ति मिलती है. पद्मपुराण में भी यही वर्णित है.

निर्वस्त्र स्नान

इसके साथ ही निर्वस्त्र स्नान करने से माता लक्ष्मी भी रूठ सकती हैं. जिससे आपको जीवन में धन हानि के योग बन सकते हैं.

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