Pitru Paksha 2023: क्या महिलाएं भी कर सकती हैं पिंडदान?

Kajol Gupta
Oct 02, 2023

पितृ पक्ष

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू हुए पितृ पक्ष इस साल 14 अक्टूबर 2023 तक चलेंगे.

पितरों को मिलती है शांति

पितृ पक्ष में पितरों का सही तिथि पर तर्पण और श्राद्ध कर्म किया जाता है. जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे.

पृथ्वी पर आते हैं पितर

कहा जाता है कि इन दिनों पितर पृथ्वी पर आते हैं और परिवार द्वार श्राद्ध किए जाने पर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और लौट जाते हैं.

महिलाएं भी कर सकती हैं पिंडदान

ऐसी मान्यता है कि पिता या पुत्र ही पितरों का पिंडदान या श्राद्ध कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. कुछ विशेष परिस्थितियों में महिलाएं भी पिंडदान कर सकती हैं.

गरुड़ पुराण के अनुसार

गरुड़ पुराण के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के पुत्र नहीं हैं तो ऐसे में परिवार की महिलाएं भी अपने पूर्वजों का श्राद्ध या पिंडदान कर सकती हैं.

पितरों का मिलता है आशीर्वाद

पुत्र न होने के बावजूद महिलाएं सच्चे मन से पितरों का पिंडदान करती हैं तो पितरों का आशीर्वाद जरूर मिलता है.

माता सीता ने भी किया था पिंडदान

शास्त्रों में मिले प्रमाण के अनुसार, पुरुष के उपस्थित न होने पर फल्गु तट पर स्थित सीता कुंड के पास माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था.

मान्यताओं के अनुसार

मान्यताओं के अनुसार माता सीता ने इस पिंडदान का साक्षी फल्गु नदी, केतकी के फूल, गाय और वट वृक्ष को बनाया था.

विवाहित महिलाएं करें श्राद्ध

इसके अलावा बेहतर होता है कि विवाहित महिलाएं ही श्राद्ध करें.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bihar Jharkhand इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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