Bihar GK: बिहार का वो अनोखा गांव, जहां हिंदू हो या मुस्लिम सभी का एक ही है सरनेम

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Jun 30, 2024

कहां है गांव?

नालंदा जिले के सात गांव ऐसे हैं, जहां के ग्रामीण एक ही सरनेम का इस्तेमाल करते हैं. गांववाले गांव के नाम पर ही अपना सरनेम रखते हैं.

कितनी पुरानी परंपरा

गांववालों के अनुसार, नाम के बाद गांव का सरनेम रखने की परंपरा मुगल काल से ही चली आ रही है. सदियों पुरानी इस परंपरा को लोग आज भी निभा रहे हैं.

हिन्दू-मुस्लिम का सरनेम एक

यहां हिन्दू-मुस्लिम सभी वर्गों के पुरुष व महिला अपने नाम के बाद सरनेम में 'गिलानी' लिखते हैं.

कैसे पड़ा नाम

ऐसी मान्यता है कि सबसे बड़े बुजुर्ग हजरत अब्दुल कादिर जिलानी के नाम से 'गिलानी नाम रखा गया है.

गिलानी/जिलानी

अरबी भाषा में 'ग अक्षर नहीं होता, इसलिए लोग उनको जिलानी कहते हैं. इस गांव का नाम 'मोहीउद्दीनपुर गिलानी' है.

गांव से मोहब्बत

गांवों के रहने वाले बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं, जो दशकों पहले गांव छोड़कर दूसरी जगह जा बसे. इसके बावजूद वे अपना सरनेम गांव से जोड़ते हैं.

विद्वानों का गांव

यहां एक नहीं अनेकों विद्धान, अदीव, साहित्यकार, कई आईएएस, इंजीनियर, डॉक्टर हुए हैं. इतना ही नहीं यहां कई लोग विदेशों में भी परचम लहरा चुके हैं.

विश्व प्रसिद्ध

मौलाना मनाजिर अहसन गिलानी की किताब विश्व प्रसिद्ध है. इनके द्वारा लिखी गयी 14 किताबें विश्व प्रसिद्ध हुई हैं. और वही स्व. डॉ. ईशरी ने कहा था कि 'इस गांव गिलानी का इतना ही फसाना है, सिमटे तो गिलानी, बिखरे तो जमाना है.

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