मारवाड़ी घोड़ों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. राजाओं के लिए ये घोड़े शान और गौरव का प्रतीक थे और इसलिए युद्ध में इनका उपयोग एक परंपरा बन गई थी.
मारवाड़ी घोड़े अपनी वीरता और साहस के लिए प्रसिद्ध थे. राजपूत योद्धा युद्ध में इन घोड़ों का उपयोग करते थे.
मारवाड़ी घोड़े अपनी तेज दौड़ने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. युद्ध के दौरान जल्दी से जगह बदलने और दुश्मन पर तेजी से हमला करने के लिए ये घोड़े बहुत उपयोगी थे.
मारवाड़ी घोड़े कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखते हैं. वे लंबे समय तक बिना भोजन और पानी के रह सकते हैं, जिससे युद्ध में उनका महत्व बढ़ जाता है.
मारवाड़ी घोड़ों का शरीर मजबूत और शक्तिशाली होता है. वे भारी हथियारों और सैनिकों का भार आसानी से उठा सकते हैं, जिससे युद्ध में उनकी उपयोगिता बढ़ जाती है.
मारवाड़ी घोड़ों में दिशा पहचानने की अद्भुत क्षमता होती है. वे रास्ता भटकते नहीं हैं और युद्ध के दौरान सही दिशा में तेजी से बढ़ सकते हैं.
मारवाड़ी घोड़े बेहद साहसी और वफादार होते हैं. वे अपने मालिक की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, जो युद्ध में बेहद महत्वपूर्ण होता है.
मारवाड़ी घोड़ों के कान अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं, जो उनके सुनने की क्षमता को बढ़ाते हैं. इससे वे दुश्मन की आहट को पहले ही पहचान लेते हैं.
ये घोड़े लंबी दूरी तक बिना थके चल सकते हैं. युद्ध के दौरान लंबी यात्राओं में ये बहुत उपयोगी साबित होते थे.
मारवाड़ी घोड़े आक्रामक होते हैं और युद्ध में दुश्मन के खिलाफ साहसिक हमले करने में सक्षम होते हैं.
मारवाड़ी घोड़े हर तरह की जलवायु और भूमि में आसानी से ढल जाते हैं, जिससे उन्हें युद्ध में हर जगह इस्तेमाल किया जा सकता है.