शादी में सिर्फ दूल्हे को ही घोड़ी पर बैठने का मौका क्यों दिया जाता है, दुल्हन को क्यों नहीं?

PUSHPENDER KUMAR
Nov 29, 2024

पौराणिक परंपरा

प्राचीन काल से दूल्हे को योद्धा या रक्षक के रूप में दर्शाया गया है, जो अपनी दुल्हन को लेने सवारी करता है.

समाज की मान्यता

समाज में पुरुष प्रधानता के कारण यह रस्म दूल्हे से जुड़ी रही.

दुल्हन का प्रतीकात्मक सम्मान

दुल्हन को घर की लक्ष्मी और देवी का रूप मानकर उसे घर में प्रतीक्षा करने का दर्जा दिया गया.

रक्षक की भूमिका

दूल्हे को अपनी दुल्हन की रक्षा करने वाला समझा जाता है, इसलिए वह सवारी करता है.

सामाजिक ढांचा

पुराने समय में महिलाओं की सवारी पर पाबंदी थी, जो इस परंपरा का हिस्सा बन गई.

धार्मिक मान्यताएं

घोड़ी पर सवार दूल्हे को शुभ माना जाता है, जिससे विवाह में मंगल होता है.

समाज में बदलाव

आजकल कुछ शादियों में दुल्हन भी घोड़ी पर बैठती है, जो परंपराओं में बदलाव को दर्शाता है.

समानता की पहल

आधुनिक युग में दूल्हा-दुल्हन दोनों को समान रूप से घोड़ी पर बैठाने की परंपरा शुरू हो रही है.

लोकप्रियता का सवाल

पारंपरिक फिल्मों और रीति-रिवाजों ने इसे एक खास पहचान दी है.

परंपरा और आधुनिकता का मेल

समय के साथ यह परंपरा बदल सकती है, जहां दुल्हन भी इस रस्म का हिस्सा बने.

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