चंबल से जुड़ी हुई कई कहानियां फेमस हैं, ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं चंबल के रहस्यमयी दरवाजे की कहानी के बारे में, जिसका इतिहास काफी रोमांचकारी है.
चंबल में एक देवगिरी दुर्ग है जिसका जिक्र महाभारत में भी हो चुका है. आज इसे अटेर का किला के नाम से जाना जाता है.
ये किला भिण्ड जिले के चंबल नदी के किनारे ऊंचे स्थान देवगिरी पर्वत पर स्थित है.
इस किले का निर्माण भदौरिया वंश के राजा बदन सिंह ने 1664 से 1668 के बीच कराया था.
ये किला देवगिरी पहाड़ी पर बना हुआ है. इस वजह से इसका नाम देवगिरी दुर्ग रखा गया था. इसे मुख्य रूप से खूनी दरवाजे के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यताओं के अनुसार इस दरवाजे पर भेड़ का सिर काटकर रख दिया जाता था. इसके नीचे एक कटोरा रख दिया जाता था. जिस पर खून टपकता था
राजा से मिलने वाले गुप्तचरों को खूनी दरवाजे से गुजरना पड़ता था. तब उनको खून का तिलक लगाया जाता था. तब उनकी राजा से मुलाकात हो पाती थी.
आज भी इस खूनी दरवाजे को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं. ये काफी ज्यादा फेमस है.
इसके साथ ही साथ इस किले में हथियापोर, राजा का बंगला, रानी का बंगला और बारह खंबा महल इस किले के मुख्य आकर्षण है.