400 नदियों में नर्मदा अपनी अलग पहचान रखती है. ये मध्यप्रदेश के लोगों के लिए जीवन-रेखा के समान है.
पांचवी सबसे बड़ी नदी
विंध्य की पहाड़ियों में बसा अमरकंटक नर्मदा का उद्गम स्थल माना जाता है.
सच्चे मन से पूजा करने पर फल
मां नर्मदा की सच्चे दिल से पूजा करने वाले को अक्षय पूण्य की प्राप्ति होती है. दिल से मांगी गई हर इच्छा पूरी होती है.
उल्टी दिशा में बहने का कारण
नर्मदा नदी देश में अकेली ऐसी नदी है जो उल्टी दिशा में बहती है. नर्मदा नदी का बहाव ढलान के विपरीत दिशा में होता है. इसी वजह से ये नदी पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है.
नर्मदा नदी की 41 सहायक नदियां
देश को दो भागों में बांटने वाली इस नदी की 41 सहायक नदियां है. ये भारत देश को केन्द्रिय उच्च भूमि और दक्कन के पठार में दो भाग में बांटती हैं. नर्मदा नदी गुजरात और मध्यप्रदेश की प्रमुख नदी है. ये महेश्वर में बहुत सुन्दर वॉटरफॉल भी बनाती है.
सोमोभद्वा
गुप्तकालीन अमरकोश में नर्मदा नदी को अलग नाम दिया गया है. वे नर्मदा को सोमोभद्वा बुलाते थे.
कालीदास ने भी रखा था खास नाम
कवि कालीदास ने भी नर्मदा नदी को विशेष नाम की संज्ञा दी. उन्होंने नर्मदा नदी को सोमप्रभवा कहा. वहीं नर्मदा नदी के अन्य यूनिक नाम भी रखे गए हैं. नर्मदा नदी को रेवा नदी, सोमोन्द्भवा, सोमप्रभवा, नर्बदा और नेरबुड्डा के नाम से भी बुलाते थे.