जन्मजयंती पर पढ़ें मजरूह सुलतानपुरी के फेमस शेर

Abhinaw Tripathi
Oct 01, 2024

Majrooh Sultanpuri Thoughts

आज फेमस गीतकार और शायर मजरूह सुलतानपुरी की जन्मजयंती है, मजरूह साहब के गीत, गजलें दुनिया भर में लोग आज भी सुनना पसंद करते है. ऐसे में हम आपको भी बताने जा रहे हैं मजरूह साहब के फेमस शेर.

गुलों से भी न हुआ जो मिरा पता देते, सबा उड़ाती फिरी ख़ाक आशियाने की.

बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए, हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते.

जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए, तुम्हारी बात नहीं बात है ज़माने की.

तिरे सिवा भी कहीं थी पनाह भूल गए, निकल के हम तिरी महफ़िल से राह भूल गए.

ऐसे हंस हंस के न देखा करो सब की जानिब, लोग ऐसी ही अदाओं पे फ़िदा होते हैं.

कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा, हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा.

बचा लिया मुझे तूफ़ाँ की मौज ने वर्ना, किनारे वाले सफ़ीना मिरा डुबो देते.

हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो हम थे परेशाँ तुम से ज़ियादा, चाक किए हैं हम ने अज़ीज़ो चार गरेबाँ तुम से ज़ियादा.

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