मंज़र भोपाली के ये शेर बयां करेंगे आपके दर्द की दास्तां!

Manzar Bhopali Famous Sher Shayari Ghaza

Abhay Pandey
Mar 30, 2024

इन आंसुओं का कोई क़द्र-दान मिल जाए. कि हम भी 'मीर' का दीवान ले के आए हैं.

ख़ुद को पोशीदा न रक्खो बंद कलियों की तरह. फूल कहते हैं तुम्हें सब लोग तो महका करो.

आप ही की है अदालत आप ही मुंसिफ़ भी हैं. ये तो कहिए आप के ऐब-ओ-हुनर देखेगा कौन.

आंख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई. ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई .

सफ़र के बीच ये कैसा बदल गया मौसम. कि फिर किसी ने किसी की तरफ़ नहीं देखा.

ये किरदारों के गंदे आइने अपने ही घर रखिए. यहां पर कौन कितना पारसा है हम समझते हैं.

बाप बोझ ढोता था क्या जहेज़ दे पाता. इस लिए वो शहज़ादी आज तक कुंवारी है.

अब समझ लेते हैं मीठे लफ़्ज़ की कड़वाहटें. हो गया है ज़िंदगी का तजरबा थोड़ा बहुत.

हमारे दिल पे जो ज़ख़्मों का बाब लिक्खा है. इसी में वक़्त का सारा हिसाब लिक्खा है.

आंधियां ज़ोर दिखाएं भी तो क्या होता है . गुल खिलाने का हुनर बाद-ए-सबा जानती है.

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