यहां टपकते खून से गुप्तचर करते थे तिलक; जानिए क्या है चंबल के किनारे बने इस किले का इतिहास

Abhinaw Tripathi
Nov 11, 2024

MP Historical Place

मध्य प्रदेश का इतिहास काफी ज्यादा गौरव शाली है, यहां पर कई ऐसी ऐतिहासिक इमारते हैं जिसे लोग खूब पसंद करते हैं. ऐसी ही एक किले के बारे में जिसका इतिहास काफी ज्यादा दिलचस्प है. जानते हैं.

खून से तिलक

मध्य प्रदेश में एक ऐसा किला है जहां पर गुप्तचर खून से तिलक करते थे. यहां पर कार्तिक अमावस्या पर यह एक दिन के लिए लाल से खूनी दरवाजा बन जाता था.

राजा की मंत्रणा

दरवाजे के ऊपर से खून टपकता रहता था, जिससे यहां आने वाले सभी गुप्तचरों का खून से तिलक किया जाता था और इसके बाद शुरू होती थी राजा की मंत्रणा.

बूंदें

कहा जाता है कि राजा भदावर लाल पत्थर से बने दरवाजे के ऊपर भेड़ का सिर काटकर रखवा देते थे, दरवाजे के नीचे एक कटोरा रखा जाता था, इस बर्तन में खून की बूंदें टपकती रहती थी.

सूचनाएं

गुप्तचर बर्तन में रखे खून से तिलक करके ही राजा से मिलने जाते थे, उसके बाद वह राजपाट और दुश्मनों से जुड़ी अहम सूचनाएं देते थे.

शामिल नहीं हो सके

आम आदमी को किले के दरवाजे से बहने वाले खून के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती थी, ताकि गुप्तचरों के अलावा अन्य कोई दुश्मन इसमें शामिल नहीं हो सके.

भदावर राजा

चंबल नदी के किनारे से डेढ़ किलोमीटर दूर अटेर का किला है, 400 साल पहले यहां भदावर राजा का शासन काल था, उस समय राजतंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए भदावर राजा ने मुखबिर तंत्र बनाया था.

खूनी दरवाजा

किले के प्रवेश द्वार के अंदर एक लाल पत्थर का गेट है, आज भी लोग इसे खूनी दरवाजा बोलते हैं, इस दरवाजे को लेकर कहा जाता है कि यहां भेड़ का सिर गेट के ऊपर रख दिया जाता था.

चर्चा

आज भी किले को देखने आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग इस खूनी दरवाजे को लेकर ही ज्यादा चर्चा करते हैं. काफी दूर- दूर से लोग यहां घूमने के लिए आते हैं

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