अक्सर देखा जाता है कि लोग खुद को मोटिवेट रखने के लिए कई तरह की चीजों को अपनाते हैं. ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी के विचारों के बारे में.
खुद पर उम्र को कभी हावी नहीं होने देना चाहिए.
हर किसी को अपनी उम्र के साथ सीखने के लिए खेलना चाहिए.
जो बात सिद्धांत में गलत है, वह बात व्यवहार में भी सही नहीं है.
जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता.
मैं एक ऐसे पड़ाव पर हूं, जहां खुद की उम्र को बेहद अच्छी तरह समझता हूं.
पेड़ों के आसपास चलने वाला अभिनेता कभी आगे नहीं बढ़ सकता.
मंजिल को पाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए याद रहे कि मंजिल की ओर बढ़ता रास्ता भी उतना ही नेक हो.
डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त है.