'मोहब्ब्त बदल गई, बस मेरी प्यारी मां नही बदली'...पढ़िएं मां पर लिखी चुनिंदा शायरियां

Harsh Katare
Dec 22, 2024

बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है

माएँ दरवाज़ों पर हैं बारिश होने वाली है

मैं ओझल हो गई माँ की नज़र से गली में जब कोई बारात आई

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

दोस्त बदल गए, वक्त बदल गया मोहब्ब्त बदल गई, बस मेरी प्यारी मां नही बदली

बूढ़ी माँ का शायद लौट आया बचपन गुड़ियों का अम्बार लगा कर बैठ गई

मुझे कढ़े हुए तकिए की क्या ज़रूरत है किसी का हाथ अभी मेरे सर के नीचे है

ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे

हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए माँ हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जाएँगे

शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था

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