'दिल धड़कने का सबब याद आया'...आशिकों को रुला देंगे नासिर काजमी के ये शेर

Harsh Katare
Dec 05, 2024

याद है अब तक तुझ से बिछड़ने की वो अँधेरी शाम मुझे तू ख़ामोश खड़ा था लेकिन बातें करता था काजल

तन्हाइयाँ तुम्हारा पता पूछती रहीं शब-भर तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया

दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से फिर तिरा वादा-ए-शब याद आया

इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में आईने आँखों के धुँदले हो गए

दिल धड़कने का सबब याद आया वो तिरी याद थी अब याद आया

भरी दुनिया में जी नहीं लगता जाने किस चीज़ की कमी है अभी

नए कपड़े बदल कर जाऊँ कहाँ और बाल बनाऊँ किस के लिए वो शख़्स तो शहर ही छोड़ गया मैं बाहर जाऊँ किस के लिए

मुझे ये डर है तेरी आरज़ू न मिट जाए बहुत दिनों से तबीअत मेरी उदास नहीं

तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगर तू ने वादा किया था याद तो कर

आज देखा है तुझ को देर के बअ'द आज का दिन गुज़र न जाए कहीं

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