गणतंत्र दिवस पर लोग देश के क्रांतिकारियों को याद करते हैं. उनके सम्मान में कोई न कोई कार्यक्रम होता है. ऐसे में हम गणतंत्र दिवस से पहले आपको बताने जा रहे हैं भगत सिंह के विचार.
Bhagat Singh ke Vichar
मेरे जीवन का केवल एक ही लक्ष्य है और वो है देश की आज़ादी. इसके अलावा कोई और लक्ष्य मुझे लुभा नहीं सकता.
Bhagat Singh ke Vichar
जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मैं कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता.
Bhagat Singh ke Vichar
मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी.
Bhagat Singh ke Vichar
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है.
Bhagat Singh ke Vichar
प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं.
Bhagat Singh ke Vichar
आलोचना और स्वतंत्र सोच एक क्रांतिकारी के दो अनिवार्य गुण हैं.
Bhagat Singh ke Vichar
मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है.
Bhagat Singh ke Vichar
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है.
Bhagat Singh ke Vichar
इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है.
Bhagat Singh ke Vichar
जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं.