जब प्रभु राम का आचार्य बना था रावण, लंका चढ़ाई से पहले यहां करवाई थी पूजा

Abhinaw Tripathi
May 21, 2024

Lord Ram Story

भगवान राम से जुड़ी कई कहानियां प्रसिद्ध है. प्रभु राम का जीवन हर उम्र में हमें सीख देता है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं उस कहानी के बारे में जब रावण प्रभु राम का आचार्य बना था.

राम वन गमन

रानी कैकयी के वरदान मांगने के बाद भगवान राम का भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ वन गमन हो जाता है.

दंडकारण्य

भगवान राम दंडकारण्य में कुटिया बनाकर रहने लगते हैं. यहां से एक बार एक सोने का मृग गुजरता है.

सीता हरण

जिसकी खोज में प्रभु राम चले जाते हैं लेकिन वो मृग मायावी था, इसी समय माता सीता का हरण हो जाता है.

हनुमान मिलन

भगवान राम और लक्ष्मण और व्याकुल मन से माता सीता की तलाश करने के लिए वन - वन भटकने लगते हैं. वन- वन टहलने के बाद भगवान राम की मुलाकात हनुमान जामवंत से होती है. फिर माता सीता का पता चलता है.

लंका चढ़ाई

इसके बाद लंका पर चढ़ाई करने के लिए भगवान राम अपने दल बल के साथ रामेश्वरम में एक शिवलिंग की स्थापना करते हैं.

शिवलिंग स्थापना

इस शिवलिंग की स्थापना करके प्रभु राम ने भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया था. जिसके बाद भगवान भोलेनाथ ने प्रभु को लंका विजय का आशीर्वाद दिया था.

जामवंत का आग्रह

इस शिवलिंग की स्थापना में जामवंत के आग्रह करने के बाद उनके दुश्मन रावण ने आचार्य की भूमिका निभाई थी.

कंबन रामायण

कंबन रामायण में मिलता है कि रावण माता सीता को भी इस पूजा में शामिल करने के लिए लंका से रामेश्वरम लेकर आया था.

रावण का आशीर्वाद

धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना प्रभु श्री राम ने अपनी विजय सुनिश्चित करने के लिए की थी. रावण ने मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया था, जिस ज्योतिर्लिंग की पूजा आज भी होती है.

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