MP के इस पेड़ से आती है टिकटिक की आवाज, पत्तों की जगह लटकती हैं ब्रांडेड घड़ियां

आस्था की वजह से आज मध्यप्रदेश के कई मंदिर मशहूर हो चुके हैं. इसी कड़ी में हम आपको घड़ी वाले मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं.

यहां लोग प्रसाद में लड्डू या मिठाई नहीं बल्कि इस मंदिर में भगवान को घड़ियां चढ़ाई जाती हैं. यहां से गुजरने पर टिक-टिक की आवाज भी आती है.

उज्जैन से 45 किमी दूर

दरअसल महाकाल की नगरी उज्जैन से 45 किलोमीटर दूर गुराड़िया सांगा गांव में है. शिप्रा नदी के तट से लगे इस इलाके को 'घड़ी वाले बाबा' या सगस महाराज के नाम से जाना जाता है.

हर मनोकामना पूरी होती है

ऐसा कहा जाता हैं कि आजतक जिसने भी इस मंदिर में घड़ी बांधी है, उसकी हर मनोकामना पूरी हुई है.

प्रसाद में चढ़ती है घड़ी

इस मंदिर के पास विशालकाय पड़े हैं. यहां करीब हजारों घड़ियां लटकी हुई हैं. जो भी इस मंदिर में आता है, घड़ी जरूर चढ़ा कर जाता है.

घड़ी बांधने की जगह नहीं

आज हालात ऐसे हैं कि इस मंदिर के पेड़ पर घड़ी बांधने के लिए जगह बाकी नहीं है.

टिक-टिक की आवाज

लोग इस पेड़ पर अलग-अलग ब्रांड के घड़ी बांधकर चले जाते हैं. ऐसा कहा जाता है शांत रात में यहां सिर्फ टिक-टिक की आवाजें ही आती है.

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