दरअसल महाकाल की नगरी उज्जैन से 45 किलोमीटर दूर गुराड़िया सांगा गांव में है. शिप्रा नदी के तट से लगे इस इलाके को 'घड़ी वाले बाबा' या सगस महाराज के नाम से जाना जाता है.
ऐसा कहा जाता हैं कि आजतक जिसने भी इस मंदिर में घड़ी बांधी है, उसकी हर मनोकामना पूरी हुई है.
इस मंदिर के पास विशालकाय पड़े हैं. यहां करीब हजारों घड़ियां लटकी हुई हैं. जो भी इस मंदिर में आता है, घड़ी जरूर चढ़ा कर जाता है.
आज हालात ऐसे हैं कि इस मंदिर के पेड़ पर घड़ी बांधने के लिए जगह बाकी नहीं है.
लोग इस पेड़ पर अलग-अलग ब्रांड के घड़ी बांधकर चले जाते हैं. ऐसा कहा जाता है शांत रात में यहां सिर्फ टिक-टिक की आवाजें ही आती है.