भारत के महान क्रांतिकारी वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था, तो आइए आज हम उनकी जयंती पर उनके जीवन से जुड़ी 10 खास बातें बताते हैं.
Abhay Pandey
May 27, 2023
पूर्ण आजादी की घोषणा करने वाले पहले व्यक्ति
वीर सावरकर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के लक्ष्य के रूप में पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले पहले व्यक्ति थे. सावरकर विदेशी (फ्रांस) धरती पर बंदी बनाए जाने के कारण हेग में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में लाए जाने वाले पहले राजनीतिक कैदी थे.
राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के बारे में सोचा
वे पहले क्रांतिकारी थे जिन्होंने राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के बारे में सोचा और जैसे ही उनका जेल जीवन समाप्त हुआ उन्होंने छुआछूत आदि के खिलाफ आंदोलन शुरू किया.
ये सुझाव दिया था
वीर सावरकर ने सबसे पहले तिरंगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव दिया था, जिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने स्वीकार किया था.
लिखी थी सनसनीखेज किताब
बता दें कि सावरकर ने 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857' पुस्तक लिखी थी. जो एक सनसनीखेज किताब थी, इस किताब ने ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया था.
कील और कोयले से लिखी कविताएं
अंडमान की एकांत कारावास की जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएं लिखने वाले सावरकर दुनिया के पहले कवि थे और फिर उन्हें कंठस्थ कर लिया. इस प्रकार उन्होंने जेल से छूटने के बाद याद की गई 10,000 पंक्तियों को फिर से लिखा.
मिले थे 2-2 आजीवन कारावास मिला
सावरकर विश्व के एकमात्र ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हें 2-2 आजीवन कारावास मिला, सजा पूरी की और पुनः राष्ट्रीय जीवन में सक्रिय हुए.
डिग्री ले ली गई थी वापस
सावरकर पहले ऐसे स्नातक थे, जिनकी स्नातक की डिग्री ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण रद्द कर दी थी.
प्रैक्टिस करने से रोक दिया गया
वीर सावरकर पहले भारतीय छात्र थे जिन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति निष्ठा की शपथ लेने से इनकार कर दिया था. नतीजतन, उन्हें लॉ की प्रैक्टिस करने से रोक दिया गया था.
विदेशी कपड़ों की होली जलाई
सावरकर पहले भारतीय राजनेता थे जिन्होंने सबसे पहले विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी.
किताब को 2-2 देशों ने किया प्रतिबंधित
सावरकर दुनिया के के पहले लेखक थे जिनकी कृति फर्स्ट इंडिपेंडेंस ऑफ 1857 को प्रकाशित होने से पहले ही 2-2 देशों ने प्रतिबंधित कर दिया था.